तेरी ,,,,,,,

न दिनों गालिया मेरा कुछ ज्यादा ही ध्यान आकर्षित कराती है |
रास्ते पर , बस में ट्रेन में . हर जगह मजाक में , बातो -बातो में . गुस्से में , छेड़ -छाड़ में . छोटी -मोटी दुर्घटनाओ में
''तेरी माँ की ........' यह सुनाई दे ही जाता है |
सच में मन करता है एक पूरा गली कोष बनाऊ.|" कम्पलीट डिक्शनरी ऑफ़ डर्टी वर्ड्स " इस डिक्शनरी में बहुत आयाम पर गौर किया जायेगा , मसलन , गलियों का और power का क्या समीकरण रहा होगा ? पुराने ज़माने में गलियों का स्वरुप क्या रहा होगा ?अकबर को गुस्सा आता होगा तो वह कैसी गाली देता होगा
"जुर्रत की तो हाथियों से चुनवा दूंगा वगैरह वगैरह |" पर फिर आम आदमी कैसी भाषा की गाली देता होगा ??
शिवाजी के समय में कैसी गालिया प्रचलित रही होगी ? ' मैंने कोई चूड़िया नहीं पहनी है " जैसी कहावते कंहा से ई होगी ??
औरते कितनी ही प्रतिभाशाली हो , पुरुष को वह अबला ही लगती है , और इसी नज़रिये के चलते " गाली " पुरुष की कमाई है , उसकी निजी कमाई और उसका भूषण |
मुझे लगता है हमारे देश की तक़रीबन सभी गालिया औरतो के शरीर को लेकर है , स्त्री के कुछ खास अंगो को लेकर है |ये सभी गालिया सामंती मानसिकता और पुरुष अहंकार की निरंकुश घोषणाए है |इसमे स्त्री की देह , उसका यौनाचार से लेकर उसके रक्त से जुड़े वर्जित संबंधो के रहस्योघाटन और सामाजिक धिक्कार पर फोकस होता है |ये सारी गालिया पुरुष की असमर्थता , अक्षमता और अपर्याप्तता या स्त्री की कामुकता और कामंधता को लेकर है |
समाज ने दिए हुए सामाजिक ,नैतिक संस्कारो के बीच स्त्री के सम्बन्ध और उसकी देह जीतनी गोपनीय है उसे उतना ही सार्वजनिक बना कर गलियों के माध्यम से उसे जलील किया जाता है }
देखा जाये तो गाली यह शब्द शक्ति का रूप है , सीधे -सीधे पॉवर से जुडा है | गाली देने वाला गाली के माध्यम से सामने वाले की चेतन को चीरकर आर-पार हो जाता है |गाली सालो से करोडो व्यक्तियों द्वारा भाषा की दी गयी चमत्कारी तराश है | मुहावरों ,कहावतो , व्न्ग्य बाण से कंही ज्यादा ताकतवर कोड़ा | पुरुष ने महिला के गोपनीय अंगो पर फेंका गया जबानी कोड़ा न कहे ही हमारी मानसिकता बया कर जाता है |


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