women -lets unite

स्त्री  स्वत्रंत्रता  की  बाते  करने  का हक़  उस औरत  को  नहीं  है  जो  दूसरी एसी   स्त्री  को  अपने  से  तुच्छ  समझती  है  जो  उससे  कम पैसे  वाली  है  , या  उससे छोटे  शहर की है , या कम पढ़ी लिखी है |
वो सब औरते  जो खुद  को feminist  तो   कहती  है  पर हर बात पर  उनके  मुह से  एक   वाक्य  जरूर  निकलता  है  -
' I  am not like  other women "
' I am not आंटी-type "
' I cant  just  sit at home like other women "

जो  कोई  औरत  ऐसे  वाक्य  दोहराती   है  वो  feminist  हो  ही  नहीं  सकती |  feminist  औरते  एक  ही  प्रकार  के  औरतो  से  खुद  को भिन्न  महसूस  करती  है
,
सिर्फ उन औरतो  से  जो  दूसरी  औरतो  का शोषण करती है |

--- TISS  ( Tata Institute  of social science )  की  मालिनी  ने  जो  जेंडर  पर  काम करती  है  मुझसे  कहा
'    क्या  है न मधु  , मै  पूरी  जिंदगी  इतनी  एक्टिव   रही  हू  की  घर  में  खाली  नहीं  बैठ  सकती  | जो  सोशल      वर्कर  घर में रहने  को  खाली  रहना मानती  है , वो  क्या  कभी औरतो  का नेटवर्किंग कर पायेगी ?
---
     एक  और  TISS  की  अनीता  कहती  है  _
 ' she  is  from  a small  town  ,she  wont  understand  our          value  system|   जो  सोशल वर्कर  बड़े      शहर  की  महिलाओ  को  सुपीरियर  और  छोटे  शहर  की            
     महिलाओ  को  इन्फीरियर  मानती  है  उसके  जेंडर के काम को क्या कहे ? काम या महज एक नौकरी ?
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एक  और  TISS  की  अश्विनी  कहती  है
 " मधु  तुम घर  पर ही रहती हो आजकल ? वक्त ही वक्त  है    
        तुम्हारे  पास \  I am  so  busy \
अश्विनी  नहीं जानती एक्चुअली वक्त  की कमी घर  में रहने वाले
        महिलाओ के पास होती है |
-----कॉलेज  ऑफ़  सोशल  वर्क  का  नितिन कहता है  हमारी  अनीता  तो  kitchen  में नहीं  जाती |   तुम  जाती         हो ?  आंटी टाइप्स . वो नहीं जनता की kitchen में न  जाने  का  निर्णय सिर्फ  privileged  महिलाये ही ले          सकती  है  |  औरतो  के पास  choice  नहीं  है |  और  जिनके  पास choice  नहीं  है  वो aunty-type  नहीं  है
------ कॉलेज  ऑफ़  सोशल  वर्क  का अरविन्द  कहता है . "  तुम  तसलीमा  नसरीन मत  पढ़ा  करो  madhu वो           वो  औरतो  को भड़काती  है  . औरते   sacrifice  करे ये ही ठीक है |


इनमे  से कोई  भी  feminist   है ?  क्या  ये  सचमुच  महिलाओ  के काम को  समझते है ?   या   ये  औरतो के लिए  किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे है | हर एक  वाक्य  जो  एक औरत को   दूसरे  से इन्फीरियर बताता है  , भयानक है |    उगलती हू  घृणा  भर भर के  उन सभी  वाक्यों  के लिये|

सच  तो  यह  है  हर औरत  चाहे  वो   किसी भी  राज्य से हो .  किसी भी कम्युनिटी से हो . किसी भी economic background  से हो  अलग अलग तरह से Patriarchy  का  शिकार  है  |
 कोई  भी  औरत  कमज़ोर  नहीं  है  ,अपने तरीके  से हर औरत  लड़  रही है  .
 हम  सबकी  एक दूसरे     के प्रति  empathy ही  हमें  इस  लडाई  को  मजबूत बना  सकती  है  |
 हमारी  सबसे  बड़ी  problem  यही  है  की  हम  united  नहीं है . |
एक  हो जाये  तो  patriarchy  ख़ाक  कुछ   बिगाड़  पायेगी  हमारा |
# gender # sensitiity for work # social work # unity for women #






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