" मुझे नहीं मालूम "








मेरा  और अरविन्द के  भाभी के बीच   कुछ अरसा पहले  हुये  संवाद का एक अन्श ||



" सुना है जयेन्द्रगंज में मर्डर हो गया है |"

"पता नहीं मै सो रही थी , कितनी गर्मी है , बाहर झांकने का भी मन नहीं करता |

'अब तो कुछ घटना नहीं घट रही है ? ठीक है न सब कुछ ?"

अरे क्या हुआ . सुबह ही तो दरवाजे पर सब्जीवाला आया था "

' कल ही तुम जयेन्द्रगंज के डॉक्टर के यंहा गयी थी . कुछ टेंशन था क्या
 वंहा ?
मै अकेली थोड़ी गयी थी , मेरे पति थे न साथ मे , उन्हें ही पता होगा |"

"अब तो ठीक है न वहा सब ? "

हा ये गए है बाहर , पता कर के ही आयेंगे "

ठीक है रखती हू फ़ोन , फीचर पूरा कर अति हू |"

" संभलकर आना , पता है न कैसा है यंहा का क्राउड ! ये तो मुझे बाहर ही नहीं निकलने देते है , रानी की तरह रखते है | दिन भर आराम कराती हू |
 


अरविन्द की भाभी घर के पास घटी इतनी बड़ी घटना के बारे मे कुछ नहीं जानती |
शहर जहन्नुम मै जा रहा है अरविन्द की भाभी कुछ नहीं जानती |

देश के जहन्नुम मै जाने पर , अरविन्द की भाभी क्या करेगी ?

शायद अपने पति से पूछेगी की उसे क्या करना चहिये ???

??????

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