"मै एक औरत जात "

-flight में मेरे करीब बैठा एक ख़ूबसूरत युवक ने जो किसी अमीर खानदान का मालूम हो रहा था , मुझसे परिचय के लिए हाथ बढाया ,|. विमान की गती बढ़ते ही उसने airhostess से कम्बल मंगाया | कम्बल का कारण तब मेरी समझ आया जब कम्बल के अन्दर उसके हाथ मेरी जांघो और कमर पर धीरे धीरे रेंगने लगे |

-नासिक मुंबई से ST से यात्रा करते समय पास बैठे अधेड़ उम्र के व्यक्ति बार बार मुझ पर गिर पड़ते थे , और फिर sorry कह कर खिसियाने लगते|

-दिल्ली में एक बार में बस से उतरते समय एक लड़का मुझे जलती हुई सिगरेट दाग कर चला गया , एक चिकोटी काट कर भाग गया |

-ग्वालियर शहर में एक बार साइकिल चलते एक लडके ने मेरी कार के विंडो से हाथ डालकर मेरी छाती को छूने की कोशिश की , इस हडबडाहट में मैंने कार एक दीवार को ठोंक दी |




-कल ही ठाणे शहर मे रात बारह बजे नासिक से आ रही ST बस से उतरकर मै sterling motors पर वाहन का इंतजार कर रही थी , एक कार मेरे पास आकार रुकी और उसमे बैठे पाँच-छह लडके चिल्लाने लगे "आती क्या ??"

मैंने इधर -उधर देखा लड़को का झुण्ड का झुण्ड खड़ा था , सब मजा देख रहे थे , जैसे उन्हें कुछ लेना देना न हो |


ऐसे कितने दर्द मै अपने आप मै लपेटे हू ,शायद कोई नहीं जानता | मैंने कितनी राते इस अपमान की वजह से जागकर गुजारी है ये मै ही जानती हू |

ये गुस्सा , दर्द , अपमान ,तिलमिलाहट , मुझे सहज नहीं रहने देती |

मुझे लगा चिल्लाऊ, जोर से चिल्लाऊ , मारू , उनका गरेबा खिंचकर   चांटा मारू | public करू , लोगो को इकठ्ठा करू . घर जाकर अपनी भड़ास निकालू |

पर ..... इसमे से कुछ भी नहीं किया मैंने |

oh , शायद बहुत जल्दी मैंने यह सिख लिया की इसका कोई उपयोग नहीं है .
|अगर मै एसा करू भी तो क्या होगा ?? लोग मुझे सलाह देंगे | घटना को बुरा भला कहेंगे |          मेरी मदद करना चाहेंगे |         मेरी सुडोल बाँहे देखेंगे |         और मेरे चले जाने की बाद मेरी असहायता का मजाक उड़ायेंगे |
मेरे कपड़ो के बारे में चर्चा कहेंगे और मै जानती हू , अच्छी तरह जानती हू की अंत में मै ही बुरी लड़की करार दे जाउंगी |
 माँ-पिता के घर मेरा घर से निकलना बंद हो जाता | मेरे रहन सहन पर तरह तरह की पबंदिया आती | "
यह सब मेरे साथ ही क्यों होता है ,इस सवाल का सामना मुझे बड़ी बेशर्मी से करना पड़ता |

यह सब सोचकर मै अपना दर्द हमेशा अन्दर दबाकर रह गयी | जज्ब कराती गयी दिल के अन्दर ये दुःख | बल्कि उपरी तौर पर इन घटनाओ को मैंने बहुत बड़ा नहीं माना बल्कि मै तो अपने आप को खुशकिस्मत समझती हू की मै अब तक जीवित हू , किसी वहशी गिरोह ने मेरा बलात्कार नहीं किया , | किसी सुनसान जगह पर ले जाकर मुझे मर नहीं डाला | मै 

अब तक जीवित हू क्या यह मेरा सौभाग्य नहीं है ??


अपने जिन तमाम अपराधो के लिए मै आतंकित हो रही हू और खुद को जीवित मन कर खुशकिस्मत हो रही हू वह है मेरा " लड़की "जात होना, "औरत "जात होना | मेरी मेधा , मेरी रुची मेरा ambition ,मेरा hardwork ,  मेरा committment , कुछ भी मुझे "मानव" जात नहीं बना सके | सिर्फ" औरत" जात ही बना कर रख दिया |


मै जानती हू लोग इसे व्यक्तिगत घटना मानकर अलग हो लेंगे | अपने कर्तव्यों से मुह मोड़ लेंगे | पर घर के बहार निकालने वाली औरतो मै मै अकेली नहीं हू |सभी औरते   रस्ते मै घटने वाली अश्लील घटनाओ को झेलने के लिए तैयार रहती है | बदन पर एखाद दो कंकड़ गिरना तो मामूली बात है |
मेरी कार्यशालाओ में students   मुझसे कहते है , हमेशा कहते है , " अब  स्त्री पुरुष जैसी बात है नहीं ,सब बराबर है | हम विकास की और जा रहे है |
 सिर्फ एक बार पूछती हू " कभी -कभी विकास की दिशा उलटी और विपरीत नहीं होती क्या ?"
#gender, # sexual abuse # violence

2 comments:

Unknown said...

Hi MAdhuji

Read your article,, Its really sad ki in this world womens are not safe.Country are doing very well in all parts but there are no safety for womens yet.I really like ke ur opening ur feelings atleast to all of us.But still der r sum others who cant.
Hats off to you....
Thanks
Manoj Mayekar

Chikitsa Lab said...

Is punyabhumi me jaha Ram Sita Laxman jaise character ho gaye hai vahi aise naradhamo ne kaise janma liya inko to bich rah me goli mardeni chahiye ...taki aage vale ko sabak mile....

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