अच्छा तो किचन में भी time - waste करती हो . तुम्हारा ये रूप मैंने पहले कभी नहीं देखा ' - -मुझे खाना बनाते देख मेरी फेमिनिस्ट दोस्त ने ताना मारा |
' ये औरते कैसे किचन में घुसी रहती है , क्या मज़ा मिलता होगा ? " '/ दूसरी दोस्त का वाक्य |
"मधु , तुम तो बाहर का काम धाम छोड़कर घर में गुलाम बन जाओ " -एक और फेमिनिस्ट का वाकया
जो फेमिनिस्ट घर के काम को , motherhood को , family होने को ओछा समझती है , ' i cant go into kitchen you know ' , ' i cant do full time parenting '
'i cant be stay at home mom ' कहती फिरती है , वो शायद फेमिनिज्म को ठीक से समझती नहीं है |
मेरा फेमिनिज्म नहीं कहता की घर में काम करना गुलामी है | मेरा फेमिनिज्म नहीं कहता की motherhood सिर्फ जिम्मेदारी है , उसमे कुछ मजा नहीं है | मुझे नहीं लगता की शादी बर्बादी है , और सिंगल रहना ही बेहतर है |
अपने घर मे बर्तन धोना , खाना पकाना , घर साफ करना गुलामी नहीं है | वो तो एक family -structure ' है |
कोई बाहर काम करेगा तो कोई घर मे | गुलामी तो वो है जिसमे सारे काम मानवीय न रहकर सिर्फ औरतो का ठेका हो जाते है | गुलामी तो वो है जिसमे आप इंजीनियर है , डॉक्टर है , अच्छा -खासा कम रही है फिर भी पति एक चाय नहीं बनाएंगे वह आप ही का जिम्मा है क्यों की आप एक औरत है | गुलामी तो वो है जिसमे 'चॉइस' नहीं है |
and feminism is all about choices .
वर्ना किसी से प्रेम करना . किसी के लिए उसका मनपसंद खाना बनाना , उसके लिये घर सजाना क़माल का अनुभव है | किसी का ख्याल रखना , किसी का इंतज़ार करना , किसी के लिये अपने हाथो से स्वेटर बुनना , किसी के लिये के जिंदगी शेयर करना कितना ख़ूबसूरत हो सकता है | जो patriarchial पुरुष इस काम को औरतो पर धकेल देते है , और जो फेमिनिस्ट औरते इस कामो को पति से करवाने की उम्मीद कराती है वो दोनों ही इस ख़ूबसूरत अहसास से वंचित रह जाते है |


तो सवाल यह नहीं उठना चाहिये की खाना कौन बना रहा है ? सवाल यह भी नहीं उठना चाहिये की कौन पैसा कम रहा है और कौन बच्चो की देखभाल कर रहा है , सवाल यह नहीं उठना चाहिये की कौन गुलाम है और कौन मालिक , सवाल तो सिर्फ यही उठना चाहिये की
'जिंदगी साझा की जा रही है या नहीं ?'
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