-१) एक और संवाद जो मेरा पीछा ही नहीं छोड़ रहा |
' बहुत दिन बाद मिल रही हो मधु , डार्क लग रही है , पहले कितनी गोरी थी |
कुछ कर न यार |
' दिशा पहले कितनी गोरी थी , अब क्यों सावली हो गयी है |
लड़की होने का एक ही मतलब ,
'दुबली पतली और गोरी गोरी .
२)Indians के लिये recism एक एकतरफा रास्ता है .
हम गोरेदेशो के सामने ' victim. है ये ढोल पीट पीट कर कहते है पर पर हम कभी भी perpetrators नहीं हो सकते | हम मानने को तैयार नहीं की हम गोरे रंग को श्रेष्ठ और काले रंग को हीन मानते है |
जब ऑस्ट्रेलिया में हमारे देश के लडके पर आक्रमण होता है तो हम इसे चिल्ला चिल्ला कर रेसिस्म और हेट क्राइम कहते है और जब हमारे ही देश की राजधानी दिल्ली में हमारे बच्चे जब नायजे रीयन्स पर अटैक करते है तो हमें ये 'हेट क्राइम 'नज़र नहीं आता | हमें इसमे छिपा रेसिस्म भी नज़र नहीं आता | हम इसे सिर्फ बच्चो की आपसी दुशमनी मान लेते है |
सच तो अह है की हम भारतीय बहुत hypocryte है | रेसिस्ट है |
हमारे देश में ये रेसिस्म ब्लेक एंड वाईट इतना सिंपल नहीं है |
ये बहुत कॉम्लेक्स है |
इसमे बहू का गोरा रंग है |
दहेज़ की मांग बढ़ाने वाला सावला रंग है |
बड़े बड़े होटल की फ्रंट टेबल पर बैठने वाला गोरा रंग है |
हीनता का शिकार काला रंग है |
फेयर एंड लवली परत दर परत चढाने वाला सावला रंग है |
मर्दो के लिये गोरेपन की क्रीम वाला मर्दो का अलग सावला है |
औरतो की गोरेपन की क्रीम वाला औरतो का अलग सावला रंग है |
विवाह विज्ञापन में आने वाला गोरेपन का रंग अलग है |
गोरे एक दो ही रंग जानते है गोरा और काला और उनमे भेदभाव करते है
पर हमारे काले रंग में अनेक छटाए है और छटाए है उसके साथ होने वाले अत्याचारों में |

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