I am hindu --I am sensitive

fortunately कंहू या unfortunately कंहू मेरा जन्म एक हिन्दू ब्राह्मण परिवार में हुआ है |

fortunately इसलिए की ब्रह्मिन होने के नाते मुसलमानो की तरह हर जगह संदिग्ध नज़रो का सामना नहीं करना पड़ा SC या ST की तरह अपनी निचले दर्जे की होने की हिकारत नहीं झेलनी पड़ी |

ब्रह्मिन परिवार की औरत थी , इसलिए एक layer शोषण ही झेलना पड़ा | आदिवासी महिलाओ या निचली जाती की महिलाओ की तरह दोहरे शोषण की शिकार नहीं हुई मै !

 unfortunate क्यों की सत्यनारायण की कथा सुनते हुए और उसका प्रसाद कहते हुए ही बड़ी हुई मै ! आसपास के पेड़ , चारो तरफ के लोग , साहित्य , थिएटर , travel क्राफ्ट जैसी अनेक चीजे मुझे घर के बाहर मिली | sad part for my family it was waste of time |

मेरे घर से एक बात मुझे जो बार बार याद दिलायी गयी की ' हिन्दू ब्रह्मिन दुनिया के श्रेश्ठतम धर्मो में से है | हम बहुत patient है . सहिष्णु है | और धर्म एग्रेसिव है |


मैंने तो शुरू से अपने घर में sensitivity ही sensitivity बिखरी देखी


मेरी माँ सुबह से पूजा पाठ में लगी रहती और पिता खर्राटे भरते भर दोपहरी सोते रहते | बच्चे भूख से किलबिलाते पूजा खत्म होने का इंतज़ार करते | ये थी sensitivity towards children |

मेरे पिता जी को मैंने सिर्फ आराम करते देखा,, आर्डर देते देखा , माँ को कमर तोड़ काम करते देखा |

 घर में सुबह शाम पिता जी के पसंद का खाना बनता घर की औरतो को खाने में क्या पसंद है ये शायद आज भी उन्हें पता नहीं |     बात पर गुस्सा करना , और औरतो की मिसाल देना , खाने का स्वाद हाथो में होता है की दुहाई देने वाले सब्जी की खरीददारी जैसी मामूली जिम्मेदारी से भी
मुक्त हो जाना . ये है हिन्दू धर्म का वर्क कल्चर | सेंसिटिविटी \




उनके नाक कटने की दुहाई देना , ये थी हमारे ब्रह्मिन घरो की सेंसिटिविटी टुवर्ड्स वीमेन|

कम से कम मजदूरी देकर ज्यादा से ज्यादा काम करवाने का गुरु मंत्र मेरे ही सेंसिटिव हिन्दू परिवार ने दिया था | मज़दूर मज़दूरी के लिए ही पैदा होता है , ये भी मंत्र मैंने अपने घर से सीखा था











भारत -पाक क्रिकेट मैच देखते समय टीवी जैसे वॉर - ग्राउंड बन जाते थे |
अच्छे खेल को कही कोई जगह नहीं थी , जगह थी तो दूसरे धर्म के घृणा को |









एक -एक मुसलमानो को मार कर गिराने पर ही देश का भला होगा , ये आस्तीन के सांप है की 'हैट्रेड बोली ' बोलने वाले मेरे पिता को मैंने कभी समय पर ऑफिस जाते नहीं देखा | ऑफिस समय में खर्राटे भर कर ये हिन्दू देश का बहुत भला कर रहे थे |


 







वो 'नीची ज़ात वाले   हम ऊँची ज़ात वाले '  " जैसे घोष वाक्य दिन में हज़ारो बार गूंजते |

मेरे घर आने वाले दोस्तों के कर्मो से ज्यादा उनकी जाती महत्वपूर्ण होती थी , ये थी हिन्दू धर्म की सहिष्णुता |

सरकारी डॉक्टर होने के बावजूद कैंपस में private practice करने वाले मेरे cousins सत्यनारायण पूजा में ब्रह्मिन  को परोस कर संवेदनशील होने का ताज पहन ले जाते थे |

घर का बेस्ट अपने लिए और सड़ा गला खाना नौकरानी को ये है हिन्दू धर्म की सहिष्णुता |
अगर गोडसे नहीं होता तो मै गांधी को गोली मार देता कहकर घृणा उगलने वाले मेरे भाई और पिता

, अपने हर असफलता की दुहाई अपनी किसमत या सहकर्मियों के माथे मढ़ कर अपने वर्क कल्चर की जिम्मेदारियों से पल्ला झड़ देने वाला मेरा हिन्दू ब्रह्मिन परिवार|



खुद के लिए नहीं , खुद के बच्चो के लिए नहीं . खुद के देश के लिए नहीं , humanity के लिए नहीं .... living for me , for my status ,, i am king ,, i am hindu ,,,

I AM HINDU ,, I AM SENSITIVE |

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