Disha ,Deek and merit .

आजकल किसी भी दोस्त से मिलो ,परिचित से मिलो एक ही चिंता ' किस कॉलेज में दाखिला मिलेगा ?
ज्यादा चिंतित है couselling के लिये |
क्यों की इस समय CET के बाद के दाखिले का समय है |
कल मेरी एक दोस्त के यंहा बारीश के मौसम में चाय का लुत्फ़ उठा रही थी , बड़े ही चिंतित स्थिति में वह बोली
' मधु , यहाँ दिन रात मेहनत करके हमारे बच्छे ९०- ९५ का स्कोर हासिल करते है | CET में १३० तक के अंक लाते है लेकिन इन SC और ST को हमसे बेहतर जगह दाखिला मिलता है , अनपढ़ होने के बावजूद |
तभी रमा का बेटा गुर्राया '
स्साला ,क्यूँ रहूँगा इस देश में ???"
PG करने जाऊंगा तो रह जाऊंगा वही अनपढ़ मुझसे आगे निकले मुझे मान्य नहीं |'
.अब चाय की चुस्कियों के साथ माहोल बहुत ही राष्ट्रीय हो चला था |
रमा बोली ," मधु . तू ही बता बीमार होने पर अपना ऑपरेशन एसे डॉक्टर से कराएगी जो reservation पर आया है ?"जिसमे क्षमता नहीं है डॉक्टर बनने की |
' नहीं ,बिलकुल नहीं करूंगी " मैंने कहा ,पर एसे डॉक्टर से भी नहीं करवाउंगी जो ' capitation fee ' देकर आया है |
क्यों की मेरे लिये डिग्री खरीदकर आया डॉक्टर ज्यादा खतरनाक है ,आरक्षीत के तो नाम से या कानाफूसी से पहचान लूँगी ,पर खरीदे हुए को कैसे पहचानूंगी यह तो छुपा दुश्मन है |
अ' अरे ,मधु एसे लोग सिर्फ १५- २० है '" रमा ने सफाई दी |
तो फिर क्या अरक्षीत ८०- ९० है ???

सच तो यह है हम सभी अरक्षीत के मुकाबले दुसरे डॉक्टर को चुनेंगे |सरकार के मुकाबले प्राइवेट डॉक्टर को चुनेगे ,क्यों की हमें पता है उसे खुली प्रतियोगिता में मेरिट के बल पर खड़े रहना है और भारतीय के बदले अमेरिकेन डॉक्टर को चुनेगे क्यों की हमें पता है की जिस ' effeciency ' और मेरिट की बात हम कर रहे है वह वही है |
'तो यार हम क्या कर सकते है ' रमा का सुर था |
करे वारे कुछ नहीं रमा ,यंहा तो मै उस 'मेरिट' को समझना चाहती हूँ ,जिसकी बात हम आये दिन कर रहे है |
मुझे सचमुच ' मेरिट ' को सोचने पर मजबूर कर दिया | दिशा और दीक के ८० % से भी ज्यादा दोस्त या तो अमेरिका योरोप में है या वहां जाने की तैयारी कर रहे है |मेरे अपने परिवार में हर रिश्तेदार का एक न एक सदस्य अमेरिका में है , और वही बस गया है

|हमारे मेरिट की हर 'excellence ' अमेरिका या योरोप में जाकर ही क्यों ठहरती है ???
वही जाकर क्यों सार्थकता देती है ???
मेरे जितने भी मित्र ,परिचित है , रिश्तेदार है , वो वापस नहीं आना चाहते | briliiant और पढ़े -लिखे है तो अमेरिका और योरोप में चले जाकर बस जाते है |उससे कम पढ़े -लिखे है तो middle -east , इंग्लॅण्ड जाते है |लड़का है तो वही नौकरी कर रहा है , लड़की है तो वहां के लडके से शादी करके बस गयी है |
कब आएंगे पता नहीं ???
उनके माँ -बाप जब मुझे मिलते है तो बताते रहते है ' घर बना लिया है , गाड़ियाँ है , हमें ही बुलाते रहते है , बेहतर सुविधाए है वहां |
मेरी बहन का कहना है " स्वाभाविक है वंहा जाना | वंहा बेहतर सुविधाए है , साफ़ -सफाई है ,| योग्यता की क़द्र है और अपने जैसा हर बात पर घूस का मामला नहीं है |प्रतियोगिता में उनसे टक्कर लोगे तो टिके रहोगे वरना फेंक दिए जाओगे | और अपने बच्चे भी क्या कम प्रतिभाशाली है , prove किया है indians को उन्होंने वंहा |
वह कौन सी मेरिट है जो हमें दिन रात विदेशौंमुख बना रही है | मेरिट तो चली जाती है विदेश और देश में रह जाती है दुसरे तीसरे दर्जे की मेरिट |हीनता महसूस करता दूसरा वर्ग आता है प्रशानिक सेवाओं में ,फिर उसके नीचे का वर्ग जाता है प्राइवेट संस्थानों में ,चौथा छोटे मोटे निजी व्यवसायों में , और बचे दुकानदार और अन्य वर्ग | पर इन सभी वर्गो की इच्छा अंत में अमेरिका जाकर थराने की होती है |
' वीसा मिलाना बहुत स्ट्रिक्ट हो गया है , यह इतनी चिंता का विषय है जीतनी भारत की गरीबी और बेरोजगारी भी नहीं |
आखीर रमा ने कहा ' मेरे बच्चे को reservation की जरूरत नहीं , उसे तो सपने में भी नहीं पता था की जाती क्या होती है ? reservation के पहले कहाँ पता था उसे की उसकी कम्युनिटी क्या है ?? तो सच में हँस कर लोटपोट हो जाने का मन करता है |
सच बात है , जिस तरह से हमारे बच्चे पढ़ रहे है , शिक्षा ले रहे है , डिग्री ले रहे है उसमे जाती तो क्या वर्ग का भी पता नहीं होता है |माँ -बाप अपनी सीमाए और नैतिक मान्यताए तोड़कर बच्चो को हर तरह की सुविधाए दे रहे है ताकि बच्चो की उपलब्धि पर गर्व महसूस कर सके |
छोटी उम्र से ही महंगे कॉन्वेंट और पब्लिक स्कूल से निकलकर सीधे कॉलेज में आ टपकने वाले हमारे बच्चो के पास वक्त ही कहाँ है , अपने आसपास के वर्ग देखने का |उन्हें जाती क्या , वर्ग क्या देश की किसी भी परिस्थिति समझाने का वक्त नहीं है |
अपने से ज्यादा वजन के बैग , और कॉपी किताबो ,होम-वर्क ,tuition के बोझ से दबे ये या तो बंद कमरे में रात दिन रटते रहते है या फिर विदेशी संगीत , कॉमिक्स में डूबे रहते है |
जिन लोगो के साथ वे outing , पिकनिक ,trekk , या रेस्तौरांत में ' JUST TO HAVE FUN ' के लिये जाते है वो भी उन्ही वर्ग के लोग है ,उसी बनावट के है .कहाँ है उनके पास वे अवसर की वे अपनी देश की स्थिथि को समझे . अपनी भाषा ,अपनी संस्कृति को जाने ? किसी भी एसी छेज़ से जुड़े जिसका सम्बन्ध root से हो |भारतीय साहित्य के नाम पर जहाँ दिशा की दिसत आख और कोहनी मटका कर कहे ' ओह्ह्हह्ह , HMT (हिंदी मीडियम टाइप )
या ये country -टाइप है कहकर उस हर चीज को ठुकरा दे जो हमारे देश से जूडी है , या फिर दीक के दोस्त मुंबई के बाहर रहने वालो को ' विल- पीपुल ' (village -people ) के नाम से उपहासित करे और कॉलेज में आये दिन कहे ; मुंबई घूमने आये हो क्या विल-पीपुल ???
हो सकता है आर्ट ले स्टुडेंट थोडा बहुत exhibitions के माध्यम से देश से जुड़े भी लेकिन science और technology के लोगो को तो वो भी नहीं मालूम |हॉस्टल ,classromm , या उसके आसपास , यंहा से सीधे वो air -conditioned ऑफिस में चले जाते है |
reservation के नाम पर ततैया कटे की तरह चिल्लाने वाले जातिवाद या गलत राष्ट्रीय निति के खिलाफ की राष्ट्रीयस भावना से प्रेरित होकर प्रतिरोध नहीं कर रहे है बल्कि अपनी यथास्थिथि बचाए रखने की बौखलाहट है |
डर इन युवाओ और उनके अभिभावकों को मेरिट पर हमले का नहीं है ,डर है वो सारी विज्ञापनी संस्कृति , विज्ञापनी भाषा और चका-चोंध और विज्ञापन का हाथ से निकल जाने का | जहाँ ''क्या " और 'क्यों " के चक्कर में नहीं पड़ा जाता है बल्कि कहा जाता है ' I like it because i like it | या जन्हा सैफ अली खान कहता Lays के विज्ञापन में कहता है '" इतना अच्छा की बांटने को दिल न चाहे , जहा सब बेहतर अपने पास रख लेने का स्वार्थ हो | is as simple as that |
और अपने बच्चो को वह सब देने के लिये बाप पैसे लायेगा भी कहाँ से ?आत्मा बेचकर या देश बेचकर |
इन दोनों के बीच राष्ट्र कहाँ से आता है ? वर्ग कहाँ से आता है ? राष्ट्र की जिम्मेदारी तो इन बच्चो ने कुछ विकल्पहीन ,गंवार राजनेताओ के हाथ उनकी जिम्मेदारी पर छोड़ दी है ?
काश इस मेरिट के साथ शर्त होती की इसका उपयोग सिर्फ देश की स्थिथि सुधारने के लिये होगा ,उसे बहार ले जाने की इज़ाज़त नहीं है तो शायद इसके अन्तिम परीणाम वो नहीं होते जो आज है |


रमा का बेटा , दिशा और दीक के तमाम दोस्त , मेरे रिश्तेदार और तमाम युव  " आखिर ऐसा है तो हम इस देश में रहे ही क्यों ??" की धमकी देकर युवा होने की सुविधाए न भी मांगे तो तो वो जानते है की वो """राष्ट्रीय "" तब तक है जब तक वीसा नहीं आ जाता

2 comments:

shree said...

good morning .....................great

Anonymous said...

hi madhu ji. i am your fb friend. you just missed the very important point. that is if a backward is getting a seat in m.b.b.s or anywhere... it means he is getting admission in a course, he is not getting a degree. for him to pursue one, he has to pass every subject in his examination. he has passed each and every exam who will be treating you. the failing percentage is same, both with open and reserved student. madhuji i always feel that your knowledge has some boundaries and i have told you before. the real question is whom should we blame? the brahmins ...who did nothing but fooled people,divide them in cast. if you are good in history than you should know how maratha`s power went to brahmins i.e peshwas. tara bai bhosale (daughter-in-law of shivaji maharaj)who conquered whole india after the death of all children of shivaji maharaj and one child been jailed by aurangzeb. aurangzeb when died told that tara bai is far more furious than shivaji maharaj. what that lady did was she surronded the huge mugal army for three years in aurangabad. she didn`t allow moghul army to go back to delhi. aurangzeb died there. when this lady conquered india, she wanted to attack portugal. when she prepared the army brahmins told that if any hindu person crosses a sea, there hinduism will end. brahmins scared the people and over thrown the queen, who conquered and kept marathi power alive. this is how brahmins (peshwas) came to power. what did brahmins do after coming to power? made low caste people carry a broom in there hand, so that a brahmin can see from far away that an untouchable is coming. nobody in this world has done so much inhuman act as they did. why is brahmins going to america n other parts of the world? is there hinduism not ending now?
Third very important point... about people going to usa, london and gulf. indians are nothing but cheap labours. america gives only h1a and h1b visa. only for computer work. i stay in india i make what 70 engineers earn. i am a civil engineer and now a builder. i took just 50 thousand from my home and now my company have a sale of 137 crores a year. there are only 7 sectors for which america takes indian. also they take indians only because companies need to pay less than to americans. times of india claimed that 90% of the people going to gulf are for driver, turner, fitter, n other odd and low jobs. ambanis, tatas n other biggies didn`t shift to other world. europe needs a financial help package. what are we upto? nothing. ...

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