मुझे गर्व है |
सगर्व , गर्व , अहंकार से भरी पड़ी है ये जिंदगी | हर कोई अपने अहंकार में डूबा हुआ है |
एसे ही जय शिवाजी , जय महाराष्ट्र | ' के नारे लगाने वाले लोगो में मुझे घमंड की गन्दी बदबू आती है | इन्हें अपने महाराष्ट्र पर गर्व है , शिवाजी पर गर्व है | तो मेरे पिता को अपने ब्राह्मण होने पर गर्व था | सिर्फ इतना ही नहीं हमारे घरो में तो कौन देशस्थ ब्राहमण है और कौन कोकणस्थ ब्राह्मण है इस पर भी इतनी चीरफाड़ होती थी जैसे भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा हो | इतने पर भी रूकता नहीं था कुछ |. देशस्थ कैसे कोकणस्थ से श्रेष्ठ है ये सिद्ध करने के लिये कोकणस्थ ब्राह्मण पर मजाक किये जाते थे उनके कंजूसी के झूठे किस्से फैलाये जाते थे | ग्वालियर के ठाकुरों को अपने ठाकुर होने पर गर्व था और वो ब्रह्मणों को कढ़ी - भात चिढाया करते थे | मेरे भाइयो को अपने लडके होने पर गर्व था | अरविंद की माँ को गर्व था की उन्होंने दो बेटो को जन्म दिया है , दो शेरो को . लडकियों को नहीं | अरविंद को गर्व था की उनका पुशतेनी घर मेनरोड पर है | अरविंद की भाभी को गर्व था की उसका रंग गोरा गोरा है | मेरी एक दोस्त है उसे गर्व है की उसके घर में चार चार कार है उसका बिल्डर पति रोज सूटकेस में पैसे भर कर लाता है | | सगर्व , गर्व , अहंकार से भरी पड़ी है ये जिंदगी हर कोई अपने अहंकार में डूबा हुआ है |
और सिर्फ गाडियों पर झंडे लगाने से कॉन्ट्रिब्यूशन नहीं हो जाता है किसी देश और राज्य के लिये |
मुझे गर्व है सिर्फ उस पर जिस पर मैंने दिन रात एक किये है |जिस पर मैंने कठीन परिश्रम किया है | जिसे मैंने सिर्फ अपने बल बूते पर हासिल किया है | इसलिए न मुझे हिन्दू होने पर गर्व है न ब्राह्मण होने पर | न ही जय महाराष्ट्र पर और न ही जय शिवाजी पर |
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