अमीर खान का 'सत्यमेव जयते ' देख रही थी | मेरे विषय में अमीर भी दिलचस्पी ले रहा है जानकर सुखद अनूभूति हुई |
मेरा कैमरा भी अपनी बीती निजी ज़िन्दगी पर घूमने लगा |
मेरी अपनी जिंदगी से जुड़े हजारो वाकयात |
कोई भी नहीं चाहता है की उनके घर बेटी पैदा हो ,फिर मेरा घर भला इससे अलग कैसे हो सकता है ? दिशा का अभी आगमन भी नहीं हुआ था , दो महीने बाकी थे उसे इस दुनिया में आने के लिए |
मेरी माँ अचानक घबरायी मेरे पास आ यी ,जैसे बहुत बुरा कुछ घटित हुआ हो | बोली ' मुझे आज सपना आया की तुझे बेटी पैदा हुई है , हाय राम एसा कैसे हो सकता है ? मै रात भर सो नहीं पायी बेटा |
यह थी शुरुआत दिशा के आगमन की | उसके पैदा होने के बाद सबका मायूस होना तो लाजमी था| लडके और लडकियों मै फर्क करने वाला मायका और ससुराल उसे हमदर्दी के अलावा कुछ और नहीं दे सकते थे |
बचपन से ही सुनती आयी थी . खुशकिस्मती और बदकिस्मती की परिभाषाएँ |
" भगवन ने उन्हें सब कुछ छप्पर फाड़ कर दिया है , धन दौलत और दूसरी बार भी बेटा |"
" उसके कर्मो का फल है , सब कुछ दिया पर एक बेटा नहीं दिया , दूसरी भी आने बेटी ही पैदा हुई |"
"कितने पुण्य किये होंगे इसलिए बेटे का जन्म मिला है , क्यों उस घड़े के साथ खेल रहा है ?'
मैंने खुद कितनी बार अपने छोटे भाइयो के साथ बहस करने पर मार खायी है | मेरे भाइयो को इनाम के तौर पर अगर एक रूपया मिलाता था तो मुझे मांगने पर चार आने |
आज भी इस जिन्दा मानसिकता के तहत अलग -अलग अनुभवों से गुजरती हूँ | मेरे ऑफिस का नौकर जिसकी जिसकी एक अदद नौकरी बचाए रखने के लिए मै कितने गुना-भाग करती हूँ , ये मै ही जानती हूँ , जिससे उसके बच्चे दो जून रोटी खा सके | उसके अधूरे काम के बारे में फटकार सुनते समय कहता है ' आज तक किसी औरत ने मुझे ऐसे बात नहीं की , नज़र नीचे करके बात करो मैडम |
आये दिन घर के छोटे मोटे हिसाब देखते समय और कामकाज देखते समय अक्सर सुनने को मिलता है ' साहब नहीं है क्या मैडम घर में ? आप को समझने में जरा देर लगेगी "
मै मुस्करा देती हू , जहाँ बोलने का कोई फायदा न हो वंहा चुप रहना ही बेहतर होता है शायद ||
शीघ्र प्रकाश्य ' my life and everything that touches it ' से कुछ अंश |
मेरा कैमरा भी अपनी बीती निजी ज़िन्दगी पर घूमने लगा |
मेरी अपनी जिंदगी से जुड़े हजारो वाकयात |
कोई भी नहीं चाहता है की उनके घर बेटी पैदा हो ,फिर मेरा घर भला इससे अलग कैसे हो सकता है ? दिशा का अभी आगमन भी नहीं हुआ था , दो महीने बाकी थे उसे इस दुनिया में आने के लिए |
मेरी माँ अचानक घबरायी मेरे पास आ यी ,जैसे बहुत बुरा कुछ घटित हुआ हो | बोली ' मुझे आज सपना आया की तुझे बेटी पैदा हुई है , हाय राम एसा कैसे हो सकता है ? मै रात भर सो नहीं पायी बेटा |
यह थी शुरुआत दिशा के आगमन की | उसके पैदा होने के बाद सबका मायूस होना तो लाजमी था| लडके और लडकियों मै फर्क करने वाला मायका और ससुराल उसे हमदर्दी के अलावा कुछ और नहीं दे सकते थे |
बचपन से ही सुनती आयी थी . खुशकिस्मती और बदकिस्मती की परिभाषाएँ |
" भगवन ने उन्हें सब कुछ छप्पर फाड़ कर दिया है , धन दौलत और दूसरी बार भी बेटा |"
" उसके कर्मो का फल है , सब कुछ दिया पर एक बेटा नहीं दिया , दूसरी भी आने बेटी ही पैदा हुई |"
"कितने पुण्य किये होंगे इसलिए बेटे का जन्म मिला है , क्यों उस घड़े के साथ खेल रहा है ?'
मैंने खुद कितनी बार अपने छोटे भाइयो के साथ बहस करने पर मार खायी है | मेरे भाइयो को इनाम के तौर पर अगर एक रूपया मिलाता था तो मुझे मांगने पर चार आने |
आज भी इस जिन्दा मानसिकता के तहत अलग -अलग अनुभवों से गुजरती हूँ | मेरे ऑफिस का नौकर जिसकी जिसकी एक अदद नौकरी बचाए रखने के लिए मै कितने गुना-भाग करती हूँ , ये मै ही जानती हूँ , जिससे उसके बच्चे दो जून रोटी खा सके | उसके अधूरे काम के बारे में फटकार सुनते समय कहता है ' आज तक किसी औरत ने मुझे ऐसे बात नहीं की , नज़र नीचे करके बात करो मैडम |
आये दिन घर के छोटे मोटे हिसाब देखते समय और कामकाज देखते समय अक्सर सुनने को मिलता है ' साहब नहीं है क्या मैडम घर में ? आप को समझने में जरा देर लगेगी "
मै मुस्करा देती हू , जहाँ बोलने का कोई फायदा न हो वंहा चुप रहना ही बेहतर होता है शायद ||
शीघ्र प्रकाश्य ' my life and everything that touches it ' से कुछ अंश |