college days में भी एसी कितनी ही लडकिया मेरी दोस्त थी जो महिलाओ के अधिकारों के प्रति तब भी सचेत थी और आज भी है इतने सालो बाद भी |तब उन्हें अधिकारों के प्रति सचेत कहा जाता था पर आज उसे feminist कहा जाने लगा है . बात तो एक सी ही है |
मुझे याद है तब भी नियंत्रण के खिलाफ , खौफ था उनमे और आज भी है |
आज inequality के मुद्दे बहुत से है . division of labor at home . house work in office work . upbringing if children in gender sensitive way . time management , dealing with sexism . ----कितने सारे issues से जा भिड़ना है
तब ले दे कर दो ही बातो पर ज्यादा भिडंत होती थी - घरवाले नौकरी करने के खिलाफ होते थे या घरवाले प्रेमविवाह के खिलाफ होते थे | पर पाबंदियो का गुस्सा तब भी था और आज भी है | husband ने नौकरी छोड़ने को कहा है ' ये वाक्य आज भी बहुत अन्यायकारक लगता है |
आज हम सब feminist अपने अपने तरीको से हक़ की मांग कर ही रही है | पर फिर भी एसा क्यों हो रहा है की change हम अपने ही तरीके से स्वीकार कर रहे है जैसे की अब लडकियों को पढ़ने की . प्रेम विवाह की आज़ादी दे देंगे और हम समझेंगे की हम विचारो से स्वत्रंत है लेकिन इसके अलावा किसी और बदलाव को हम welcome नहीं कर पा रहे है |
क्यों की जब इनकी ही बेटिया शादी को मना कर अकेले रहने का इज़हार करती है तो feminist दोस्तों पर जैसे बोम्ब गिराती है |
'मधु समझा न इसे " | अकेले रहना संभव है क्या ? " शादी कर घर बसाने को बोल |
फिर चाहे जिसके साथ करे हम हा कर देंगे /
और मै देखती ही रहती हू, क्या ये वो ही लडकिया है जो choice की बात करती थी |
कल मेरी एक और दोस्त का फ़ोन आया |बेहद परेशान थी | खुद आत्महत्या की सोच रही है | एसा क्या हुआ की इतनी खलबल मच गयी ?
' अमिता ने कह दिया उसे लडके नहीं लडकिया आकर्षित करती है | और उसकी एकgirl friend भी है
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माँ feminist है पर इस समय हाल ये है की लड़की को abnormal मान लिया और नार्मल होने के लिये उसे दवाइया लेने को कहा जा रहा है |
आखिर इन feminist को समझाने में संघर्ष ही करना पड़ रहा है . की कुछ भी असामान्य नहीं है \
-straight होना और किसी लडके के साथ शादी कर लेना और घर बसाना जितना सामान्य है उतना ही
- अपने जैसे ही लिंग के साथ आकर्षण होना याने गे या लेस्बियन होना भी सामान्य है और
किसी भी सेक्स के प्रति आकर्षण न होना याने asexual होना भी सामान्य है |
सारे रास्ते सामान्य है ] बस अपने choice की बात है |

हमारे प्रेम विवाह हमारे -माँ पिता को असामान्य लगते थे क्यों की वो उनके लिए सामान्य नहीं थे | आज हमारे लडकियों के रास्ते हमे असामान्य लगते है क्यों की वो हमारे लिए सामान्य नहीं है | क्या फर्क हुआ फिर उनमे और हममें ? हम भी तो choice को नकार रहे है |
feminism का मतलब सिर्फ स्त्री और पुरुष में बराबरी की बाते करना ही नहीं है बल्कि
'Feminism is about choice "
हर लड़की का अपनी जिंदगी पर पूरा हक़ है और ये हक़ होना ही चाहिये और उन्हें अपने तरीके से अपनी जिंदगी जीने की आज़ादी मिलनी ही चाहिये | चाहे बात घर के काम की हो या नौकरी की हो या बच्चे पैदा करने की हो या सम्लेंगिकता की हो |
असली feminist वो है जो खुद अपने लिए अपने तरह की जिंदगी चुनती है और बेटियों को भी चुनने देती है |
I am proud to be a feminist mom. Are you ?
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