फटती है तेरे नाम से |


१)----मेरे  मायके और  ससुराल  में  एक बात  कॉमन  थी अरविन्द को  'बेचारा ' कहने  की |  और  मुझे 'ओवर'  कहने  की  | 'बेचारा '  अकेला है घर  में  वाइफ गयी काम के बहाने |  अरविन्द  की  भाभी  ने तो उसका नाम 'बेचारा ' ही रख दिया था \  जाने  क्यों  दिया  उसे  आज ?  तुम्हारे  दोस्त  आ रहे है न  ?  मेरे  पति  को तो  ये भी  पता नहीं  होता की  पिने  का पानी  कंहा  रखा है ? तू  कैसा  बिचारा  है रे , दो चार  लप्पड़ क्यों  नहीं  रसीद देता  उसे |
मै  जब अकेली होती थी घर में तो दस पांच रिश्तेदार और  आ टपकते थे | अपने अलावा  उन्हें झेलना पड़ता था |पर अरविन्द जब अकेला  रहता तो आसपास के पडोसी   एसे  देखते  थे  " बिचारा " जैसे कोई लास्ट स्टेज कैंसर का मरीज हो |  कोई उसे  घर  खाने का न्योता देता , कोई  दाल चावल  पकड़ा जाता | बेचारा भूख से न मर जाये |

2) ----हमारी  एक परिचित  है  वो  जब  भी घर आती है अपना तकिया कलाम इस्तेमाल करती है ' अरविन्द  को  साष्टांग  प्रणाम  करना चाहिए क्यों की वो iइस  ' भूत'   के साथ रहता है |

3))----अरविन्द  का एक  और    दोस्त है श्रीमाली , उदयपुर का बड़ा townplanner  है |अपने  वाइफ  के   बारे में ,'just house वाइफ " कह कर परिचय करता है | उदयपुर की असली मालकिन तो मेरी बीवी है , आर्डर तो वही से आते है  ' कह कर हंस पड़ता है | एक भरी सभा में उसने एलन कर दिया " अरविन्द तुमसे बहुत डरता है | बेचारा सीधा साधा जो है "| और अपने पीले  दांत   दिखाते खी -खी कर हंस दिया |
 जैसे  उसने भरी सभा में मुझे  उघाड़  दिया हो और मेरी औकात   दिखा कर एक जंग जीत ली हो |

4)----- मेरे सामने एक परिचित है | वो  आये    दिन   एक  ही   बात कहता  है  , " . अरविन्द चल यार थोडा सा घूम आते है , तू बिचारा हमेशा danger-zone  में  रहता है  , यह कर  मुझ पर आने वाला गुस्सा   निकाल  देता है |उसकी  पत्नी ने भी हमेशा बड़े जोर जोर से स्वीकार  की
 'sumant बहुत  डरता है  तुझसे |  फटती है उसकी तेरे नाम से  | कारण   जानने पर पता चला की  मै  रात को  अकेली फार्म पर बीना दरवाजे के घर में रहती हू
 कार  चला कर रात को  अकेली ६०० कम दुसरे राज्य में चली जाती हू|  दोस्तों के साथ रात को   करती  हू|
इसलिए वो डरता है |

5) ---- मेरे  देवर  को  मै  बहुत  provoke  करती थी . चुप बैठीरहू तो भी ,|  पता नहीं क्यों ऐसा  लगता है की इसको ठीक कर दो'-  ये  खुद मेरे पढ़े लिखे देवर  ने मुझसे कहा है |
अरविन्द की दलील थी ,u  r  nice  to everyone  लेकिन तेरी  आँखों से समझ आता है ' u  cant  be  tammed'|

हकीकत ये नहीं है की मै danger  हू , हकीकत  ये नहीं है  की मै तुम्हे  परेशान करती  हू|   हकीकत ये है की मुझे अपने काम करने के लिए किसी पुरुष की जरूरत नहीं होती | हकीकत ये है की अपनी सेफ्टी के लिए , रोजी -रोटी के लिए , आइडेंटिटी के लिए  मेरी अपनी जिंदगी के सपने   पूरे   करने के  लिए  मुझे किसी पुरुष की जरूरत नहीं | मै  अपने  हिस्से की   लड़ाइया खुद  लड़ सकती हू|  मेरे चारो तरफ जो भी पुरुष है वो मेरे दोस्त है . खुशिया और गम बाटने  और सुनाने के लिए / मेरा और उनका सब कुछ बराबर है ,   जिम्मेदारिया सहने के लिए मेरे और उनके कंधो की ताकत भी बराबर है |

असलियत तो ये है . दोस्तों   की  ' ये सब डरे हुए है '. मेरे पडोसी . मेरे रिश्तेदार .श्रीमाली  the  town planner., और मेरा पति   भी   जो उसे ' बेचारा" कहने पर  बड़ा खुश होता है की तीर सारे  मधु के सीने पर जा रहे है |  तुम सब  डर   नहीं रहे हो . insecure  हो  रहे हो अपनी सत्ता से , अपने सिंहासन  के उतर जाने से | किसी औरत ने  इतराकर  नहीं कहा " Plz  छोड़ दो न मुझे वंहा तक तो तुम्हारी इज्ज़त क्या रह जाएगी ? और किसी ने  पलट कर कह दिया . 'dont  worry  i can  drive  on highway  in the  night/  चली जाउंगी | तुम कहो तो तुम्हे ड्राप कर दू ?"

क्या  रह जायेगा उनकी जिंदगी में कण्ट्रोल करने ,को सुपेरिओरिटी    दिखाने  को  , ताकत  दिखाने  को  , प्यार  दिखाने  को  ,  अब भला    हम अकेले चले जाये तो   प्यार    दिखाने   के  लिए  वो घर जाकर खाना तो नहीं पकाएंगे न ? कपडे  तो नहीं  धोयेंगे न ? बच्चो  की  टट्टी तो साफ़ नहीं  करेंगे  न? उनके प्यार  दिखाने  के  , ताकत  दिखाने  के   रास्ते  तुम  बंद  कर  दो  तो वो   डरेंगे  नहीं ? "
अरे सुन लो  . तुम डरते हो इसलिए नहीं की तुम स्ट्रोंग हो . तुम डरते हो क्यों की तुम weak  हो .

'WEAK  MEN  ARE  ALWAYS AFRAID OF   STRONG WOMEN "

# gender# inequakity#men-women relationship .# My life my story














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