'जिन्दा रहो '





कल एक पत्रकार ने मुझसे पूछा ;-
" अपने विभिन्न क्षेत्रो के महिलाओ के साथ किये काम में दिये हुए सन्देश को आप एक पंक्ति में बंया कर सकती है ?
'येस्स्स्स '






एक ही बात , एक ही बात कह रही हू हर औरत से '
जिन्दा रहो ' |
मेकअप से लिपी-पुती , हाई हील्स पहन कर मुम्बई कि लोकल में भागने वाली औरतो से कहती हू ,
'जिन्दा रहो' |
कंडे थापती उस गांव कि औरत से कहती हो
' जिन्दा रहो "|
सात बच्चे जने हुए औरत से कहती हू
'जिन्दा रहो "|
बाँझ औरत से कहती हू
'जिन्दा रहो ' |
गाँवो में झुण्ड बनाती स्कूलो में जाती लडकियो से कहती हू
'जिन्दा रहो '
कॉर्पोरेट औरतो से कहती हू
;जिन्दा रहो '
नौकरी करने वाली औरतो से कहती
हू
'जिन्दा रहो ' |तो
होम मेकर्स से भी कहती हू
' जिन्दा रहो '|
अरकंडीशनड कमरे में अपने पति का इंतज़ार कराती , अपने कुत्ते से खेलती हुई दुखियारी औरत से कहती हू
'जिन्दा रहो '
बाज़ारू औरत से भी कहती हू जिन्दा रहो |
सत्यनारायण कि पूजा करने वाले पतिव्रता स्त्री से कहती हू
'जिन्दा रहो '
तो
अपने हक़ के लिए लड़ने वाली समलिंगी स्त्री से भी कहती हू
'जिन्दा रहो '

जिन्दा रहो यार ! और सिर्फ जिन्दा मत रहो अपनी मर्जी से अपना जीवन जियो |
मुझे देखो . मै अपने सारे दुःख झाड़कर खड़ी हो गयी हू |
मैंने किसी अश्लीलता . किसी तरह कि अस्वस्थता के साथ समझौता नहीं किया |
तुम भी यदि मेरी तरह स्त्री हो तो मृत्यु को पछाड़कर जीवित हो उठो |
सतीत्व , नारीत्व . मातृत्व सबको परे हटा कर खड़ी हो जाओ |
याद रखो ! अपने मन में इसे जज्ब कर लो . 'यह दुनिया हमारी भी है '
इसे अपनी इच्छा से जियो
य़ह जीवन दरअसल तुम्हारा है | सिर्फ तुम्हारा और इसका हक़ भी तुम्हे हासिल करना है !
मै य़ह तुम्हे सिर्फ इसलिए कर रही hu.सिर्फ इसलिए क्यों कि मैंने स्त्री होने के नाते कीचड़ देखा है , पाप देखा है |मै चाहती हू कि किसी किसी स्त्री को अपना रास्ता तय करने के लिए वो कंटीला तार न पार करना पड़े जो मैंने किया है , वह ऐसे छिन्न -भिन्न होकर न गिर जाये जैसे मै गिरी थी |
किसी को मुझ जैसे अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए वह दुर्गम अरण्य न पार करना पड़े जैसा मैंने किया है |
मै तो समृद्ध जीवन कि तरफ बढ़ रही हू . तुम भी बढ़ो |
ये हाथ तुम्हारे है , इनसे जंजीरे तोड़ो |
ये पाव तुम्हारे है इनसे मंजिल कि तरफ भागो |
|ये आँखे तुम्हारी है , इनसे जीवन देखो |
ये ओंठ तुम्हारे है इनसे सुंदरता चूमो
ये गाल तुम्हारे है , इनसे खिलखिलाकर हंसो |
तुम सर से पांव तक अपनी हो सिर्फ अपनी |
#women fight #live #struggle for life 

'कुत्ता भी तुम्हे नहीं सूंघेगा '

आज मुड़कर देखो तो समझ आता है ,कुछ औरतो से मै चाह कर भी खास रिश्ता नहीं बना पायी |  इ  खास   रिश्ता  |  जिसमे  ढेरो  बाते  हो  , शेयरिंग  हो  , सपने  हो  |
खास कर उन लोगो से जिनसे मेरे रक्त का सम्बद्ध एक है और उन नाते संबधो से जो शादी के मार्फ़त मुझे उपहार में मिले थे |





मेरी बहन से बात करो तो वो   पूरे   समय   उसके  पति   की  ही   बाते   बताती रहेगी 

' प्रकाश को खाने में सलाद तो लगता ही है '       मुझे रोज बाज़ार जाकर   फ्रेश   सब्जिया   लानी पड़ती है |
 

अपनी बहन से मै कभी ठीक से बात नहीं कर पायी , वो हमेश अपने पति - सेवा में इतनी   व्यस्त  रही  की  मै     इतनी   दूर   से   उससे   मिलने     , उसका   हाल   चाल  जानने  आयी  हू  , उसकी  खबर  लेने  आयी   हू  ये  उसे  कभी  याद  नहीं  रहा |

अब आज आ ही गयी है तो  plz मधु  धनिया छील दे न  फटाफट  |  प्रकाश के खाने का वक्त हो गया है |'

'plz हाँ, प्रकाश के सामने ऐसा   जेंडर  वेंडर  जैसा   कुछ मत बोल देना उसे पसंद नहीं आयेगा |'

प्रकाश , प्रकाश और  प्रकाश  के  आलावा कोई और शब्द  उसके  शब्दकोष  में  नहीं  था |

अरविन्द कि भाभी संध्या से जब भी एक औरत बन कर जुड़ने कि कोशिश कि वो अपने पति राम से बाहर नहीं निकल पायी

' मैंने ये खाना छोड़ दिया है , राम को डायबिटीज है '
'राम को क्राफ्ट पसंद नहीं , मै उसकी तरफ देखती भी नहीं '
राम को मेरा क्लासिकल म्यूजिक पसंद नहीं , मैंने म्यूजिक हमेशा के लिए छोड़ ही दिया '|
'राम कैसा स्मार्ट है ', 'उसे कितनी salary है' , 'उसका केबिन कितना बड़ा है'| 'उसे तुम्हारा कोर्ट -मैरिज करना कैसे पसंद नहीं आया' , 'वो कैसा मुह फट है' , 'उसे मेथी कि सब्जी बहुत पसंद है', 'उसकी किससे पटती है , किससे बिलकुल नहीं पटती वगैरह -वगैरह |


अरविन्द कि माँ से मेरी इतनी ही बात हो पायी 'दादा के सामने ये मत पहनना , उन्हें प्याज़ पसंद नहीं | उन्हें थकान महसूस हो तो उनके आगे पानी का गिलास रख देना |'' बाहर जाओ तो उनके LIC क़े बिल भर देना अदि अदि |

माँ से 'गर्ल टॉक' करने की मेरी इच्छा अधूरी ही रह गयी .पिता नामक प्राणी उसकी जिंदगी से एक मिनट भी नदारद नहीं हुआ |


मेरी एक और परिचित   नीता    से जब भी मिलो उसे ये बताने से फुर्सत ही नहीं मिलती कि कैसे उसका बिल्डर पति सूटकेस में पैसे भर कर लाता है |उसने उसे i20 खरीद कर दी है | 'हमारे anniversary पर गोल्ड का ये नेकलेस दिया है |

सच पूछो तो मुझे इनसे कुछ भी गिला नहीं है |    शिकवा नहीं है |      अपने livelihood क़े लिए सभी को कुछ न कुछ एडजस्टमेंट तो करनी ही पड़ती है |     मै जानती हू ये सब जो अपने पति क़े चारो तरफ दौड़ती नज़र आती है    इसलिए   नहीं   की   वह   उनसे   बेइंतहा   प्यार   करती   है   बल्कि    इसलिए    की     क्यों कि उन्हें वंहा जमे रहना है , डटे   रहना  है  |वे   घर   में   बनी   रहना   चाहती  है  |   वे समाज में बनी रहना चाहती है |      हर कीमत पर     |   इस    सुरक्षितता    के    लिए      इतनी     चाकरी   , नौकरी   और  सेवा  कर    बदले   में   एक गहना, एक गाड़ी या फिर ज़मीन का एक टुकड़ा अपनी अपनी हैसियत से काफी है |

बस दुःख है तो एक बात का |     दुःख नहीं   अफ़सोस |        अफ़सोस है , बेहद अफ़सोस ! लडकिया आखिर पराजित हो ही जाती है |  कोई तुरंत तो कोई धीरे -धीरे |

सबसे भयानक बात ये है कि ये सब दो चार कीमती चीजे पाकर अपने परिवार को ही विश्व -ब् रह्माण्ड समझने लगाती है |

वह यह पूरी तरह से भूल जाती है कि स्वतंत्रता उनका पहला मौलिक अधिकार है |   औरते अपनी स्वत्रंतता को एक अदद छोटे से घर क़े लिए बेच देती है |      वो क्न्यो समझ नहीं पाती कि घर किसी कि दुनिया नहीं हो सकता |  घर   किसी  की  दुनिया   नहीं   हो  सकता |

घर हमारे लिए है . हम घर क़े लिए नहीं |   इतना छोटा सा समीकरण क्न्यो समझ नहीं आता यार !
जब शादी होती है न , हमारे यंहा तो घर और बंधन लड़कियो को बिन मांगे ही उपहार में मिलते है , और ये उपहार फिर सारी जिंदगी प्यार क़े ढोंग कर सम्हाल कर रखने पड़ते है |
यह तोहफा , यह गिफ्ट कोई पुरुष अकेले नहीं देता , उसके साथ में होता है यह पुरुष शासित समाज |


परिवार किसी का कर्म नहीं हो सकता , कैरियर नहीं हो सकता ,  हाँ परिवार हो सकता है' ' कवच !' जिन्दा रहने क़े लिए | जिन्दा रहने क़े लिए एक अदद कवच ! परिवार धर्म तो हो नहीं सकता , और जो हम पर ऐसा धर्म लादना चाहते है , वो चाहे जितने भी धार्मिक हो , पर मनुष्य नहीं है वो |
उनकी बाते मत सुनो यार ! मै गुहार लगाती हू ! उनकी बाते मत सुनो | उन्होंने हिमालय पर , हेरा पर्वत पर बैठ कर इस धर्म कि नियमावली बनायीं है , और अब तो उन्होंने इसे पवित्र भी घोषित कर दिया है |इस पवित्रता क़े नाम पर वे हमें घर और बंधन दोनों सौगात में दे रहे है और खुद घूम रहे है मुक्त दुनिया क़े चारो कोनो में |


अरे औरतो , तुम जिस दशा में आज हो न .उसे देख कर तो सूंघने आया हुआ कुत्ता भी दर्द क़े मरे नीला पड़ जायेगा |    चिल कौए भी तुम्हे नोचने से इंकार कर देंगे , क्यों कि तुम्हारे जीवन क़े पैने पंजे उन्हें साफ़ दिखायी देंगे |   और इसके बाद भी कोई यदि तुम्हे काटे तो वो कोई सूअर नहीं , नाग नहीं होगा | सिर्फ हो सकता है है तो सिर्फ , सिर्फ और सिर्फ पुरुष और पुरुषा सत्ताक समाज |

अरे जरूरत पड़ने पर घर का मरियल कुत्ता भी भौंक उठता है . तुम क्या कर रही हो ??
उठो यार ! उठो !अपनी रीढ़ कि हड्डी को ठीक कर कड़ी हो जाओ |और चल पड़ो ! 

चलो ये सड़के तुम्हारी है | ये सपने तुम्हारे है | चलो दोस्त चलो
# tasleema  nasreen . # gender # equality # Patriarchy 

' Reading between the lines '

Yesterday I was reading a book while travelling .    'Talk Language "   by Allan Pease .  The book is about meta language .

 Metalanguage simply says how to read between the lines

 .for ex 

if someone says -

" Do come home some time " 

The metasentence says or reading between the lines says -

'Do not come . otherwise I would have invited you by a fix time .'

I  was so excited after finishing it , tht i stared playing  with all communication  everyday i come across as feminist  with others   into  metasentences .





Here are some -
1) SENTENCE
                                 -I am against feminism
    METASENTENCE 
     METASENTENCE                          
                                  I actually dont know about feminism .


2)SENTENCE 
                                 'Feminism is all about women are better than men

   METASENTENCE 
                                 I really dont know about men and women and feminism but i pretend to .

3)SENTENCE 
                                 Feminism hurts men's right .
METASENTENCE 
                                I an still confused about men and women right and i am quite comfortable in slavery

4) SENTENCE 
             I dont think feminism is not necessery   now  because women are equal now
METASENTENCE 
              actually I live under rock .

5) SENTENCE 
                  well its your openion
METASENTENCE 
                       actually i dont underst
and anything what you say .


and in the end okkk sorry , i dint go too far ,, did i ?
SIMPLY  means                " I know but   I did but I dont care ,


okkk ' forget it'
means
' I cant cope up with situation any longer ....'
Friend ..remember  we are listening you BETWEEN THE LINESSSSS ;;;BEWARE ...




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