औरते भी उतना ही हिस्सा है rape culture का |

एक बार अरविन्द की मोसी ने मेरे ड्रेस की और देखते हुए अपने भतीजी का किस्सा बड़े ही चाव से रंग भरकर सुनाया था किस्सा कुछ यू था ,' किन्नू एक बार स्लीवेलेस टॉप पहन कर तैयार हुई तो उसके पति ने उसे वो बदलने को लगाया | सही भी है हमें ढके कपडे पहनने चाहिए क्यों की पता नहीं किसी की नज़र कैसे होती है | उनकी नज़र तो हम नहीं बदल सकते लेकिन खुद को तो ढक कर रख सकते है | ये कहते समय उसका इशारा मेरे ड्रेस पर था |

२) नहा कर एक बार बाथरूम से स्कर्ट पहन कर बाहर जब मै बाहर निकली तो अरविन्द की माँ ने मुझसे कहा था " दादा के सामने ढके पैर आया करो एसे मत बाहर आया करो | मेरी सुन्दर टांगे घर वालो के लिए समस्या का कारण थी |

३)मेरे कपडे पहनने के अंदाज़ को मद्दे नज़र रखते हुए अरविन्द की भाभी ने मुझे केरेक्टरलेस का सर्टिफिकेट भी दे दिया था |

४) मेरी माँ और उनके स्कूल की अन्य शिक्षिका हमेशा जया बच्चन की तारीफ में एक ही बात कहा कराती थी |बाहों वाला बलाऊज और साडी ]लडकियों को रहने की तहजीब तो जया ने सिखाई है |

ये सारी की सारी औरते पूरी तरह मानती है की औरतो के रेप और छेड़खानी के पीछे उनकी पोशाख जिम्मेदार है | रेप कल्चर के लिये सिर्फ पुरुष ही नहीं औरत भी जिम्मेदार होती है क्यों की इन में से एक भी औरत ने अपने लड़को को कोई कायदे कानून नहीं सिखाये |अपने लड़को के साथ कोई रोक टोक नहीं की | ना ही उनके पहरावे पर और ना ही उनके रात बे रात घर आने जाने को लेकर | ना ही उनके विस्की पिने को या ना ही उनके सिगरेट पिने को लेकर इन औरतो को कोई एतराज है |

लडकियों तुम्हारे चारो तरफ की ये औरते तुम्हे संस्कारी बनाने में जुटी रहेंगी | | पर तुम मत बनना | ये सिर्फ तुम्हारे कपडो पर काम करेंगी पर तुम मत करने देना | तुम अपने काम और वेतन से संस्कारी बनना| अपने चारो और की औरतो से प्यार करना पर अपने जिंदगी की स्वतंत्रता पर उन्हें कब्ज़ा मत करने देना | जब वो तुम्हारे बीच आये. उन्हें उनका रास्ता दिखाना | अपने शरीर पर , अपने शरीर के कपड़ो पर , अच्छे बुरे कपड़ो की परिभाषा पर , कपड़ो के आधार पर अच्छी बुरी लड़की कसौटी पर , अच्छी बुरी लड़की की कसौटी से लड़को के फिसलने पर , लड़को के फिसलने से छेड़खानी और रेप पर परिभाषाये बनाने में चतुर औरतो को तुम अपने से दूर ही रखना | ये सही है की देश में कही कुछ ठीक नहीं हो रहा है इसलिए एहतियात बरतनी जरूरी है | पर इस एहतियात के मापदंड भी तुम तय करोगी लडकियों | तुम्हारे gut feeling ही सब कुछ है , किसी का कहा सुना कुछ भी नहीं | इसका तुम्हारे संस्कारी और असंस्कारी होने से कुछ लेना देना नहीं है |

मुझे हर औरत से शिकायत है की कर्फ्यू अपने लडकियों के लिये लगाती है , लड़को के लिये नहीं |

अपनी सुनोगी तो हठीली कहलाओगी , दूसरो की सुनोगी तो लजीली कहलाओगी \

लजीली नहीं हठीली बनो |

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