मेरे शादी वाले दिन भाई ने करीब आकर कुछ कहना चाहा |
मुझे लगा पास आकर कहेगा , " जिंदगी में जब भी अकेली पाओ , मुझे याद कर लेना | ये घर अब भी तुम्हारा उतना ही है |
पर उसने कहा था
' शादी के बाद अब पति का घर ही तुम्हारा घर है | समझ लो इस घर के दरवाजे तुम्हारे लिये बंद है ' |
फिर जिंदगी में कई बार ऐसे मौके आये जब ससुराल वालो के साथ जिंदगी जीना दूभर हो गया |
ऐसे मौके जब उस घर लौट कर जाने का मन किया , पर जा नहीं पायी |
ऐसे मौके जब भाई नाम के इस प्राणी की सख्त जरूरत थी , पर वो था ही नहीं कही |
आज मेरा मेरे भाई से कोई रिश्ता नहीं है , आज मेरा उस के पास जाने का मन भी नहीं है | आज मै उसके लिये कोई प्यार नहीं महसूस करती |
पर बहुत इच्छा है की यदि कही रस्ते में मिले तो उसके पास जाकर उसे भींच कर बड़ी सी जादू की झप्पी देते हुए उसे एक बड़ा सा ' थेंक यू' जरूर कहूँगी |
क्यों की उन बंद दरवाजो ने मुझे शक्ति दी अपने संकट के दिनों से जूझने की | आत्मनिर्भर बनने की | इतनी स्ट्रांग बनने की की जिंदगी का मुकाबला हंसते हंसते कर सकू |
थेंक यू मेरे भाई | थेंक यू मेरे भाई उन बंद दरवाजो के लिये |तुम दरवाजे बंद नहीं करते या मेरे लिये खोल देते तो तो आज जो मै दिखाई दे रही हू वो नहीं होती |' मै' 'मै ' नहीं होती | मै तुम हो जाती