आज मुड़कर देखो तो समझ आता है ,कुछ औरतो से मै चाह कर भी खास रिश्ता नहीं बना पायी | इ खास रिश्ता | जिसमे ढेरो बाते हो , शेयरिंग हो , सपने हो |
खास कर उन लोगो से जिनसे मेरे रक्त का सम्बद्ध एक है और उन नाते संबधो से जो शादी के मार्फ़त मुझे उपहार में मिले थे |
मेरी बहन से बात करो तो वो पूरे समय उसके पति की ही बाते बताती रहेगी
' प्रकाश को खाने में सलाद तो लगता ही है ' मुझे रोज बाज़ार जाकर फ्रेश सब्जिया लानी पड़ती है |
अपनी बहन से मै कभी ठीक से बात नहीं कर पायी , वो हमेश अपने पति - सेवा में इतनी व्यस्त रही की मै इतनी दूर से उससे मिलने , उसका हाल चाल जानने आयी हू , उसकी खबर लेने आयी हू ये उसे कभी याद नहीं रहा |
'
अब आज आ ही गयी है तो plz मधु धनिया छील दे न फटाफट | प्रकाश के खाने का वक्त हो गया है |'
'plz हाँ, प्रकाश के सामने ऐसा जेंडर वेंडर जैसा कुछ मत बोल देना उसे पसंद नहीं आयेगा |'
प्रकाश , प्रकाश और प्रकाश के आलावा कोई और शब्द उसके शब्दकोष में नहीं था |
अरविन्द कि भाभी संध्या से जब भी एक औरत बन कर जुड़ने कि कोशिश कि वो अपने पति राम से बाहर नहीं निकल पायी
' मैंने ये खाना छोड़ दिया है , राम को डायबिटीज है '
'राम को क्राफ्ट पसंद नहीं , मै उसकी तरफ देखती भी नहीं '
राम को मेरा क्लासिकल म्यूजिक पसंद नहीं , मैंने म्यूजिक हमेशा के लिए छोड़ ही दिया '|
'राम कैसा स्मार्ट है ', 'उसे कितनी salary है' , 'उसका केबिन कितना बड़ा है'| 'उसे तुम्हारा कोर्ट -मैरिज करना कैसे पसंद नहीं आया' , 'वो कैसा मुह फट है' , 'उसे मेथी कि सब्जी बहुत पसंद है', 'उसकी किससे पटती है , किससे बिलकुल नहीं पटती वगैरह -वगैरह |
अरविन्द कि माँ से मेरी इतनी ही बात हो पायी 'दादा के सामने ये मत पहनना , उन्हें प्याज़ पसंद नहीं | उन्हें थकान महसूस हो तो उनके आगे पानी का गिलास रख देना |'' बाहर जाओ तो उनके LIC क़े बिल भर देना अदि अदि |
माँ से 'गर्ल टॉक' करने की मेरी इच्छा अधूरी ही रह गयी .पिता नामक प्राणी उसकी जिंदगी से एक मिनट भी नदारद नहीं हुआ |
सच पूछो तो मुझे इनसे कुछ भी गिला नहीं है | शिकवा नहीं है | अपने livelihood क़े लिए सभी को कुछ न कुछ एडजस्टमेंट तो करनी ही पड़ती है | मै जानती हू ये सब जो अपने पति क़े चारो तरफ दौड़ती नज़र आती है इसलिए नहीं की वह उनसे बेइंतहा प्यार करती है बल्कि इसलिए की क्यों कि उन्हें वंहा जमे रहना है , डटे रहना है |वे घर में बनी रहना चाहती है | वे समाज में बनी रहना चाहती है | हर कीमत पर | इस सुरक्षितता के लिए इतनी चाकरी , नौकरी और सेवा कर बदले में एक गहना, एक गाड़ी या फिर ज़मीन का एक टुकड़ा अपनी अपनी हैसियत से काफी है |
बस दुःख है तो एक बात का | दुःख नहीं अफ़सोस | अफ़सोस है , बेहद अफ़सोस ! लडकिया आखिर पराजित हो ही जाती है | कोई तुरंत तो कोई धीरे -धीरे |
सबसे भयानक बात ये है कि ये सब दो चार कीमती चीजे पाकर अपने परिवार को ही विश्व -ब् रह्माण्ड समझने लगाती है |
वह यह पूरी तरह से भूल जाती है कि स्वतंत्रता उनका पहला मौलिक अधिकार है | औरते अपनी स्वत्रंतता को एक अदद छोटे से घर क़े लिए बेच देती है | वो क्न्यो समझ नहीं पाती कि घर किसी कि दुनिया नहीं हो सकता | घर किसी की दुनिया नहीं हो सकता |
घर हमारे लिए है . हम घर क़े लिए नहीं | इतना छोटा सा समीकरण क्न्यो समझ नहीं आता यार !
जब शादी होती है न , हमारे यंहा तो घर और बंधन लड़कियो को बिन मांगे ही उपहार में मिलते है , और ये उपहार फिर सारी जिंदगी प्यार क़े ढोंग कर सम्हाल कर रखने पड़ते है |
यह तोहफा , यह गिफ्ट कोई पुरुष अकेले नहीं देता , उसके साथ में होता है यह पुरुष शासित समाज |
परिवार किसी का कर्म नहीं हो सकता , कैरियर नहीं हो सकता , हाँ परिवार हो सकता है' ' कवच !' जिन्दा रहने क़े लिए | जिन्दा रहने क़े लिए एक अदद कवच ! परिवार धर्म तो हो नहीं सकता , और जो हम पर ऐसा धर्म लादना चाहते है , वो चाहे जितने भी धार्मिक हो , पर मनुष्य नहीं है वो |
उनकी बाते मत सुनो यार ! मै गुहार लगाती हू ! उनकी बाते मत सुनो | उन्होंने हिमालय पर , हेरा पर्वत पर बैठ कर इस धर्म कि नियमावली बनायीं है , और अब तो उन्होंने इसे पवित्र भी घोषित कर दिया है |इस पवित्रता क़े नाम पर वे हमें घर और बंधन दोनों सौगात में दे रहे है और खुद घूम रहे है मुक्त दुनिया क़े चारो कोनो में |
अरे औरतो , तुम जिस दशा में आज हो न .उसे देख कर तो सूंघने आया हुआ कुत्ता भी दर्द क़े मरे नीला पड़ जायेगा | चिल कौए भी तुम्हे नोचने से इंकार कर देंगे , क्यों कि तुम्हारे जीवन क़े पैने पंजे उन्हें साफ़ दिखायी देंगे | और इसके बाद भी कोई यदि तुम्हे काटे तो वो कोई सूअर नहीं , नाग नहीं होगा | सिर्फ हो सकता है है तो सिर्फ , सिर्फ और सिर्फ पुरुष और पुरुषा सत्ताक समाज |
अरे जरूरत पड़ने पर घर का मरियल कुत्ता भी भौंक उठता है . तुम क्या कर रही हो ??
उठो यार ! उठो !अपनी रीढ़ कि हड्डी को ठीक कर कड़ी हो जाओ |और चल पड़ो !
चलो ये सड़के तुम्हारी है | ये सपने तुम्हारे है | चलो दोस्त चलो
# tasleema nasreen . # gender # equality # Patriarchy
खास कर उन लोगो से जिनसे मेरे रक्त का सम्बद्ध एक है और उन नाते संबधो से जो शादी के मार्फ़त मुझे उपहार में मिले थे |
मेरी बहन से बात करो तो वो पूरे समय उसके पति की ही बाते बताती रहेगी
' प्रकाश को खाने में सलाद तो लगता ही है ' मुझे रोज बाज़ार जाकर फ्रेश सब्जिया लानी पड़ती है |
अपनी बहन से मै कभी ठीक से बात नहीं कर पायी , वो हमेश अपने पति - सेवा में इतनी व्यस्त रही की मै इतनी दूर से उससे मिलने , उसका हाल चाल जानने आयी हू , उसकी खबर लेने आयी हू ये उसे कभी याद नहीं रहा |
'
अब आज आ ही गयी है तो plz मधु धनिया छील दे न फटाफट | प्रकाश के खाने का वक्त हो गया है |'
'plz हाँ, प्रकाश के सामने ऐसा जेंडर वेंडर जैसा कुछ मत बोल देना उसे पसंद नहीं आयेगा |'
प्रकाश , प्रकाश और प्रकाश के आलावा कोई और शब्द उसके शब्दकोष में नहीं था |
अरविन्द कि भाभी संध्या से जब भी एक औरत बन कर जुड़ने कि कोशिश कि वो अपने पति राम से बाहर नहीं निकल पायी
' मैंने ये खाना छोड़ दिया है , राम को डायबिटीज है '
'राम को क्राफ्ट पसंद नहीं , मै उसकी तरफ देखती भी नहीं '
राम को मेरा क्लासिकल म्यूजिक पसंद नहीं , मैंने म्यूजिक हमेशा के लिए छोड़ ही दिया '|
'राम कैसा स्मार्ट है ', 'उसे कितनी salary है' , 'उसका केबिन कितना बड़ा है'| 'उसे तुम्हारा कोर्ट -मैरिज करना कैसे पसंद नहीं आया' , 'वो कैसा मुह फट है' , 'उसे मेथी कि सब्जी बहुत पसंद है', 'उसकी किससे पटती है , किससे बिलकुल नहीं पटती वगैरह -वगैरह |
अरविन्द कि माँ से मेरी इतनी ही बात हो पायी 'दादा के सामने ये मत पहनना , उन्हें प्याज़ पसंद नहीं | उन्हें थकान महसूस हो तो उनके आगे पानी का गिलास रख देना |'' बाहर जाओ तो उनके LIC क़े बिल भर देना अदि अदि |
माँ से 'गर्ल टॉक' करने की मेरी इच्छा अधूरी ही रह गयी .पिता नामक प्राणी उसकी जिंदगी से एक मिनट भी नदारद नहीं हुआ |
मेरी
एक और परिचित नीता से जब भी मिलो उसे ये बताने से फुर्सत ही नहीं
मिलती कि कैसे उसका बिल्डर पति सूटकेस में पैसे भर कर लाता है |उसने उसे i20 खरीद कर दी है | 'हमारे anniversary पर गोल्ड का ये नेकलेस दिया है |
सच पूछो तो मुझे इनसे कुछ भी गिला नहीं है | शिकवा नहीं है | अपने livelihood क़े लिए सभी को कुछ न कुछ एडजस्टमेंट तो करनी ही पड़ती है | मै जानती हू ये सब जो अपने पति क़े चारो तरफ दौड़ती नज़र आती है इसलिए नहीं की वह उनसे बेइंतहा प्यार करती है बल्कि इसलिए की क्यों कि उन्हें वंहा जमे रहना है , डटे रहना है |वे घर में बनी रहना चाहती है | वे समाज में बनी रहना चाहती है | हर कीमत पर | इस सुरक्षितता के लिए इतनी चाकरी , नौकरी और सेवा कर बदले में एक गहना, एक गाड़ी या फिर ज़मीन का एक टुकड़ा अपनी अपनी हैसियत से काफी है |
बस दुःख है तो एक बात का | दुःख नहीं अफ़सोस | अफ़सोस है , बेहद अफ़सोस ! लडकिया आखिर पराजित हो ही जाती है | कोई तुरंत तो कोई धीरे -धीरे |
सबसे भयानक बात ये है कि ये सब दो चार कीमती चीजे पाकर अपने परिवार को ही विश्व -ब् रह्माण्ड समझने लगाती है |
वह यह पूरी तरह से भूल जाती है कि स्वतंत्रता उनका पहला मौलिक अधिकार है | औरते अपनी स्वत्रंतता को एक अदद छोटे से घर क़े लिए बेच देती है | वो क्न्यो समझ नहीं पाती कि घर किसी कि दुनिया नहीं हो सकता | घर किसी की दुनिया नहीं हो सकता |
घर हमारे लिए है . हम घर क़े लिए नहीं | इतना छोटा सा समीकरण क्न्यो समझ नहीं आता यार !
जब शादी होती है न , हमारे यंहा तो घर और बंधन लड़कियो को बिन मांगे ही उपहार में मिलते है , और ये उपहार फिर सारी जिंदगी प्यार क़े ढोंग कर सम्हाल कर रखने पड़ते है |
यह तोहफा , यह गिफ्ट कोई पुरुष अकेले नहीं देता , उसके साथ में होता है यह पुरुष शासित समाज |
परिवार किसी का कर्म नहीं हो सकता , कैरियर नहीं हो सकता , हाँ परिवार हो सकता है' ' कवच !' जिन्दा रहने क़े लिए | जिन्दा रहने क़े लिए एक अदद कवच ! परिवार धर्म तो हो नहीं सकता , और जो हम पर ऐसा धर्म लादना चाहते है , वो चाहे जितने भी धार्मिक हो , पर मनुष्य नहीं है वो |
उनकी बाते मत सुनो यार ! मै गुहार लगाती हू ! उनकी बाते मत सुनो | उन्होंने हिमालय पर , हेरा पर्वत पर बैठ कर इस धर्म कि नियमावली बनायीं है , और अब तो उन्होंने इसे पवित्र भी घोषित कर दिया है |इस पवित्रता क़े नाम पर वे हमें घर और बंधन दोनों सौगात में दे रहे है और खुद घूम रहे है मुक्त दुनिया क़े चारो कोनो में |
अरे औरतो , तुम जिस दशा में आज हो न .उसे देख कर तो सूंघने आया हुआ कुत्ता भी दर्द क़े मरे नीला पड़ जायेगा | चिल कौए भी तुम्हे नोचने से इंकार कर देंगे , क्यों कि तुम्हारे जीवन क़े पैने पंजे उन्हें साफ़ दिखायी देंगे | और इसके बाद भी कोई यदि तुम्हे काटे तो वो कोई सूअर नहीं , नाग नहीं होगा | सिर्फ हो सकता है है तो सिर्फ , सिर्फ और सिर्फ पुरुष और पुरुषा सत्ताक समाज |
अरे जरूरत पड़ने पर घर का मरियल कुत्ता भी भौंक उठता है . तुम क्या कर रही हो ??
उठो यार ! उठो !अपनी रीढ़ कि हड्डी को ठीक कर कड़ी हो जाओ |और चल पड़ो !
चलो ये सड़के तुम्हारी है | ये सपने तुम्हारे है | चलो दोस्त चलो
# tasleema nasreen . # gender # equality # Patriarchy
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