बाल ठाकरे का निधन
और भारत का
दिल . इस पर
सचमुच बलिहारी हो
जाने का मन
करता है |
face book ,messages ,समाचार . और उससे जुडे emotions , मुझे , अलग अलग भाषा में एक ही संदेश दे रहे थे
" मी मराठी माणूस "
'मी शेर बाकी गिधाड "
" महाराष्ट्र अगर है है तो मराठी कि वजह से |
मेरे एक मित्र ने मुझे अपने friendlist से निकालने से पहले सवाल किया था
" मुझे अभिमान है कि मै मराठी हू , श्रेष्ठ हू , संवेदनशील हू , और जाती प्रांतो कि तरह " गिधाड " नही हू |
आखिर सवाल किया था
" क्या तुम मराठी नही हो ?" क्या तुम्हे गर्व नही है अपने मराठी होने का ? "
मैने कहा था .
" हा मुझे गर्व ही नही अहंकार भी है अपने मराठी होने का "
आज. ए मेरे दोस्त मै कारण बताना चाहती हू , कि मै क्यो श्रेष्ठ हू |हां तक मेरी बात करू मै किसी ईश्वर में विश्वास नही करती , मै कोई पूजा पाठ नही करती , धर्म के नाम पर कोई दान -धर्म नही करती , याकिनन देश के सारे मंदिरो को अस्पतालो ,स्कूलो , और बच्चो के खेलने की जगह में बदल दिया जाये तो मुझे कोई आपत्ती नही होगी |
फिर भी मैं हिंदू हू और उससे से भी बडी बात की मै मराठी हू | क्यो की मै कैसा भी हू , सांप्रदायिक दंगो में हिंदू होने के नाते बचा लिया जाऊंगा और महाराष्ट्र में ' मराठी माणूस ' होने के नाते सारे हक की हकदार में भागीदार होने का हक़ भी मुझे मिलेगा |और शायद यही कारण है कि मै हिन्दू हू और मराठी माणूस हू |
मै चाहे जो भी करू मुझे गैर प्रांतीय होने के नाते अपमानित नही होना पडेगा ,| मै ठाकरे पर यदि कोई status डालती हू ,तो मुझे एक बार , सिर्फ एक बार तो भी मराठी माणूस होने के नाते बक्ष दिया जायेगा |
यह बात तो है मेरे मराठी होने की , अब छोटा सा कारण मेरे दोस्त की मुझे मराठी होने पर गर्व क्यों है ???
हाँ मेरे दोस्त मुझे गर्व है की मै मराठी हू कारण सिर्फ इतना ही है की मुझे दूसरे धर्म और जाती से घृणा है | यदि एक नदी , नाला और पहाड भी किसी राज्य को मेरे राज्य से अलग करता है तो मुझे उस राज्य से भी नफरत है |चाहे वह राज्य मेरे ही देश का क्यो न हो ?
सचमुच मेरा धर्म , मेरा राज्य और मेरी जाती इतनी महान है की उसकी महानता पर बोलते हुए मेरा गला रुंध जाता है , सारी दुनिया मुझे किडे -मकोडो सी दिखाई देती है |मेरे अपने देश के दूसरे प्रांत भी मुझे किडे -मकोडे, सियार और गिधाड दिखाई देने लगते है |सचमुच मेरी जाती, मेरा राज्य इतना महान है की इसकी बात करते समय मेरा गला रुंध- रुंध जाता है , मुझे दूसरे धर्म के लोग कीड़े -मकोडो से दिखाई देने लगते है यंहा तक की मेरे ही देश के दूसरे प्रान्त के लोग मुझे गिधाड नज़र आने लगते है |
सच भी तो है बाकि सब गिधाड है ,शेर तो मै हू मराठी माणूस | मै जात -पात नहीं मानता ये बात अलग है की सिर्फ शर्मा -वर्मा , अंसल -बंसल को उनके खाके में फिट करने में लगा रहता हू |
यह बात बिलकुल अलग है की मुझे इन्सान को इन्सान मानने की कोई तमीज नहीं , अलग धर्मो की तो बात ही छोड़ दे भाई जान , मै तो अपने ही देश के दूसरे जाती और प्रान्त के लोगो का भी खून पिता हू . मै सिर्फ शेर नहीं आदमखोर शेर हू | यही मेरे लिए गर्व कि बात है |
फिर मुझे गर्व है की मराठी हू क्यों की मै सामने वाले के साथ उसकी जातीयता और प्रांतीयता देखने के लिए अभिशप्त हू | अरे गर्व से कहो मै मराठी हूँ , क्यों की हर जाती और प्रान्त के लिए मेरे पास पहले से तय फोर्मुले है , और उस जाती और प्रान्त के हर व्यक्ति के साथ मेरा रवैया उस फोर्मुले से तय होता है |
" शेर का बच्चा है तो गुर्रायेगा , वो गिधाड नहीं | हर दूसरी जाती को टुच्चा सिद्ध करने के लिए मेरे पास कितने शब्द -कोष है , कितने मुहावरे है , लेकिन सच तो ये है की मेरे अवचेतन मन में "इन्सान " नाम की कोई जगह नहीं , किसी इन्सान के व्यक्तिगत उपलब्धियों के लिए कोई जगह नहीं , मेरे लिए आधारभूत है जात | मै मराठी माणूस मुझे गर्व है मराठी होने पर क्यों की मेरे लिए मानव जाती महत्व पूर्ण नहीं है , मेरे लिए उसके कर्म महत्वपूर्ण नहीं है , मेरे लिए महत्वपूर्ण है तो किसी व्यक्ति की जात | मेरे लिए सिर्फ एक ही बात
face book ,messages ,समाचार . और उससे जुडे emotions , मुझे , अलग अलग भाषा में एक ही संदेश दे रहे थे
" मी मराठी माणूस "
'मी शेर बाकी गिधाड "
" महाराष्ट्र अगर है है तो मराठी कि वजह से |
मेरे एक मित्र ने मुझे अपने friendlist से निकालने से पहले सवाल किया था
" मुझे अभिमान है कि मै मराठी हू , श्रेष्ठ हू , संवेदनशील हू , और जाती प्रांतो कि तरह " गिधाड " नही हू |
आखिर सवाल किया था
" क्या तुम मराठी नही हो ?" क्या तुम्हे गर्व नही है अपने मराठी होने का ? "
मैने कहा था .
" हा मुझे गर्व ही नही अहंकार भी है अपने मराठी होने का "
आज. ए मेरे दोस्त मै कारण बताना चाहती हू , कि मै क्यो श्रेष्ठ हू |हां तक मेरी बात करू मै किसी ईश्वर में विश्वास नही करती , मै कोई पूजा पाठ नही करती , धर्म के नाम पर कोई दान -धर्म नही करती , याकिनन देश के सारे मंदिरो को अस्पतालो ,स्कूलो , और बच्चो के खेलने की जगह में बदल दिया जाये तो मुझे कोई आपत्ती नही होगी |
फिर भी मैं हिंदू हू और उससे से भी बडी बात की मै मराठी हू | क्यो की मै कैसा भी हू , सांप्रदायिक दंगो में हिंदू होने के नाते बचा लिया जाऊंगा और महाराष्ट्र में ' मराठी माणूस ' होने के नाते सारे हक की हकदार में भागीदार होने का हक़ भी मुझे मिलेगा |और शायद यही कारण है कि मै हिन्दू हू और मराठी माणूस हू |
मै चाहे जो भी करू मुझे गैर प्रांतीय होने के नाते अपमानित नही होना पडेगा ,| मै ठाकरे पर यदि कोई status डालती हू ,तो मुझे एक बार , सिर्फ एक बार तो भी मराठी माणूस होने के नाते बक्ष दिया जायेगा |
यह बात तो है मेरे मराठी होने की , अब छोटा सा कारण मेरे दोस्त की मुझे मराठी होने पर गर्व क्यों है ???
हाँ मेरे दोस्त मुझे गर्व है की मै मराठी हू कारण सिर्फ इतना ही है की मुझे दूसरे धर्म और जाती से घृणा है | यदि एक नदी , नाला और पहाड भी किसी राज्य को मेरे राज्य से अलग करता है तो मुझे उस राज्य से भी नफरत है |चाहे वह राज्य मेरे ही देश का क्यो न हो ?
सचमुच मेरा धर्म , मेरा राज्य और मेरी जाती इतनी महान है की उसकी महानता पर बोलते हुए मेरा गला रुंध जाता है , सारी दुनिया मुझे किडे -मकोडो सी दिखाई देती है |मेरे अपने देश के दूसरे प्रांत भी मुझे किडे -मकोडे, सियार और गिधाड दिखाई देने लगते है |सचमुच मेरी जाती, मेरा राज्य इतना महान है की इसकी बात करते समय मेरा गला रुंध- रुंध जाता है , मुझे दूसरे धर्म के लोग कीड़े -मकोडो से दिखाई देने लगते है यंहा तक की मेरे ही देश के दूसरे प्रान्त के लोग मुझे गिधाड नज़र आने लगते है |
सच भी तो है बाकि सब गिधाड है ,शेर तो मै हू मराठी माणूस | मै जात -पात नहीं मानता ये बात अलग है की सिर्फ शर्मा -वर्मा , अंसल -बंसल को उनके खाके में फिट करने में लगा रहता हू |
यह बात बिलकुल अलग है की मुझे इन्सान को इन्सान मानने की कोई तमीज नहीं , अलग धर्मो की तो बात ही छोड़ दे भाई जान , मै तो अपने ही देश के दूसरे जाती और प्रान्त के लोगो का भी खून पिता हू . मै सिर्फ शेर नहीं आदमखोर शेर हू | यही मेरे लिए गर्व कि बात है |
फिर मुझे गर्व है की मराठी हू क्यों की मै सामने वाले के साथ उसकी जातीयता और प्रांतीयता देखने के लिए अभिशप्त हू | अरे गर्व से कहो मै मराठी हूँ , क्यों की हर जाती और प्रान्त के लिए मेरे पास पहले से तय फोर्मुले है , और उस जाती और प्रान्त के हर व्यक्ति के साथ मेरा रवैया उस फोर्मुले से तय होता है |
" शेर का बच्चा है तो गुर्रायेगा , वो गिधाड नहीं | हर दूसरी जाती को टुच्चा सिद्ध करने के लिए मेरे पास कितने शब्द -कोष है , कितने मुहावरे है , लेकिन सच तो ये है की मेरे अवचेतन मन में "इन्सान " नाम की कोई जगह नहीं , किसी इन्सान के व्यक्तिगत उपलब्धियों के लिए कोई जगह नहीं , मेरे लिए आधारभूत है जात | मै मराठी माणूस मुझे गर्व है मराठी होने पर क्यों की मेरे लिए मानव जाती महत्व पूर्ण नहीं है , मेरे लिए उसके कर्म महत्वपूर्ण नहीं है , मेरे लिए महत्वपूर्ण है तो किसी व्यक्ति की जात | मेरे लिए सिर्फ एक ही बात
महत्वपूर्ण है
की वह कंहा
पैदा हुआ |
और यंहा मुझे आखिर स्वीकार कर ही लेना चाहिए की मै कितनी भी दार्शनिक और धार्मिक बकवास कर लू मुझ जैसा क्रूर और टुच्चा कोई नहीं | मेरे जैसा संकीर्ण और गिरा हुआ व्यक्ति शायद किसी देश और किसी राज्य मै नहीं | मै तो जन्म के आधार पर ही लोगो की योग्यता और उनके हक़ तय कर रहा हू |लोगो को लोगो में जात के आधार पर बांटकर उनके कद तय करना ही मेरे संस्कार है | यह मेरे संस्कार ही नहीं ,मेरे गर्व के लिए एकमात्र अनियार्य शर्त है | छि: छि गिधाड नहीं शेर हू मै |
मै मराठी मानूस मूलतः अत्मान्ध हू , पश्चिमी सभ्यता और अमेरिका मे काले गोरो के अत्याचारों पर छि : छि : करता हू पर वास्तव मे मै घुसखोर |और दु-मुहे चरित्र का हू |ढोंग और आडम्बर मेरे जीवन की अनिवार्य शर्त है |
मै शेर हू क्यों की मै व्यवसाय और व्यक्तिगत जीवन की नैतिकता को कभी एक नहीं होने देता | मै नकली चीजे बनाता हू ,जीवन रक्षक और जीवन के अनिवार्य चीजो मे मिलावट करता हू , मेरे राज्य मे लडकियों की संख्या दिन -ब- दिन गिरती जा रही है , मेरे राज्य मे सबसे ज्यादा ब्लू-फिल्म्स बनती है . मेरे राज्य मे माफिया का राज है , लेकिन यह तो मेरा व्यवसाय है इसका मेरे व्यक्तिगत जीवन से क्या लेना देना ?????
अंत मे मै यही कहूँगा की मै मराठी माणूस मुझे मुझ पर गर्व है | मै दूसरे धर्म . प्रान्त और जाती के लोगो की तरह violent ,नहीं हू मै तो सिर्फ callous हू यार | मै बन्दूक और छूरा नहीं मारता मै तो सिर्फ जलाता हू या डुबाता हू | एक तीली या एक धक्का बस इतना ही , इसके बाद तो धक्का संभाल लेगा या तीली |
मै मराठी माणूस सांप्रदायिक नहीं हू , मैंने सबको गले लगाया है | मै सम्प्रक्दायिक कैसे हो सकता हू ???
सांप्रदायिक तो वो है , मै तो सबको गले लगाता हू | मै मराठी मानूस , शेर बाकि सब गिधाड |
और यंहा मुझे आखिर स्वीकार कर ही लेना चाहिए की मै कितनी भी दार्शनिक और धार्मिक बकवास कर लू मुझ जैसा क्रूर और टुच्चा कोई नहीं | मेरे जैसा संकीर्ण और गिरा हुआ व्यक्ति शायद किसी देश और किसी राज्य मै नहीं | मै तो जन्म के आधार पर ही लोगो की योग्यता और उनके हक़ तय कर रहा हू |लोगो को लोगो में जात के आधार पर बांटकर उनके कद तय करना ही मेरे संस्कार है | यह मेरे संस्कार ही नहीं ,मेरे गर्व के लिए एकमात्र अनियार्य शर्त है | छि: छि गिधाड नहीं शेर हू मै |
मै मराठी मानूस मूलतः अत्मान्ध हू , पश्चिमी सभ्यता और अमेरिका मे काले गोरो के अत्याचारों पर छि : छि : करता हू पर वास्तव मे मै घुसखोर |और दु-मुहे चरित्र का हू |ढोंग और आडम्बर मेरे जीवन की अनिवार्य शर्त है |
मै शेर हू क्यों की मै व्यवसाय और व्यक्तिगत जीवन की नैतिकता को कभी एक नहीं होने देता | मै नकली चीजे बनाता हू ,जीवन रक्षक और जीवन के अनिवार्य चीजो मे मिलावट करता हू , मेरे राज्य मे लडकियों की संख्या दिन -ब- दिन गिरती जा रही है , मेरे राज्य मे सबसे ज्यादा ब्लू-फिल्म्स बनती है . मेरे राज्य मे माफिया का राज है , लेकिन यह तो मेरा व्यवसाय है इसका मेरे व्यक्तिगत जीवन से क्या लेना देना ?????
अंत मे मै यही कहूँगा की मै मराठी माणूस मुझे मुझ पर गर्व है | मै दूसरे धर्म . प्रान्त और जाती के लोगो की तरह violent ,नहीं हू मै तो सिर्फ callous हू यार | मै बन्दूक और छूरा नहीं मारता मै तो सिर्फ जलाता हू या डुबाता हू | एक तीली या एक धक्का बस इतना ही , इसके बाद तो धक्का संभाल लेगा या तीली |
मै मराठी माणूस सांप्रदायिक नहीं हू , मैंने सबको गले लगाया है | मै सम्प्रक्दायिक कैसे हो सकता हू ???
सांप्रदायिक तो वो है , मै तो सबको गले लगाता हू | मै मराठी मानूस , शेर बाकि सब गिधाड |