Megalomania thy name is -Man

कल एक असभ्य पुरुष ने बातचीत के सिलसिला चालू रखते हुए कहा ,
पुरुष के चरित्र को ढकने के लिए चार इंच का कपड़ा ही काफी होता है , स्त्री  के चरित्र की कालिमा बारह हाथ के कपडे से भी नहीं  ढकती "

और वह असभ्य पुरुष खी-खी करके हंसने  लगा |
मुझे आश्चर्य हो रहा था की इस पुरुष को कोई भी असभ्य कैसे नहीं कह रहा है ?  इस असभ्य पुरुष की बात से किसी को बुरा कैसे नहीं  लगता |  इसे सब सज्जन व्यक्ति के नाम से कैसे जानते है ?
मजे की बात तो ये है की  एसे सज्जनों का हमारे बीच निवास है | हमारा याने स्त्रियों का |   विनत ,नीच , निर्गुण , नष्ट, स्त्रीयों का |

चरित्र की       कालिमा   पुरुष चार इंच के कपडे से पोंछ सकता है , याने वीर्य भीगे कपडे को चार इंच के कपडे से
पोंछा जा सकता है   पर स्त्री के चरित्र की कालिमा तो छुपाये नहीं छिपती, गर्भवती होने पर पर साडी के ऊपर से भी दिखाई देगी |



इन सज्जनों के अनुसार किसी के भी चरित्र का निर्धारण सिर्फ यौन अंगो से होगा | यौन सम्बन्ध से ही स्त्री गर्भवती होती है , और इस गर्भवती होने को ही सज्जन ने चरित्र की कालिमा कहा है    |कालिख तभी पोती जाती है जब गर्भ अवैध घोषित होता है |  पुरुष अपने इच्छा से इसे वैध ,अवैध समझता है और समाज की असहाय , अनाथ ,निकृष्ट ,अक्षम स्त्री पुरुष की अदालत में स्वयं को मुजरिम समझती है |
चरित्र इतना तुच्छ शब्द है की इसे संबधो से ही नापा जा सकता है | चरित्र की कोई और विशेषता नहीं है | 


amazed  ,  चरित्र को चार छह इंच की जगह पर ही सिमित कर दिया है चरित्र का भ्रष्टाचार , बेईमानी और अनैतिकता से कोई सम्बन्ध नहीं है



असल में चरित्र इतनी तुच्छ    वस्तु  नहीं है |


दीक को adopt करते समय अरविन्द की भाभी ने कहा था ' पता नहीं किसी नाजायज संबंधो से हो "
वह सुसंकृत औरत शायद यह भूल गयी की किसी चरित्र की कोई कालिमा कभी किसी गर्भस्थ शिशु पर नहीं पड़ सकती | संतान सिर्फ सुन्दर और पवित्र ही होती है |  उसे कोई भी  मैल   स्पर्श नहीं कर सकता |  
सामाजिक विवाह सम्बन्ध   ही औरत को संतान जन्म का अधिकार होना चाहिए यह कोई सभ्य दृष्टिकोण नहीं है | स्त्री की जब इच्छा हो वह गर्भ धारण करे ,|
उसे और उसके गर्भ को अधिकार है पुष्पित होने का | सज्जन लोग दीक को अनैतिक मानते थे क्यों को वो कागजात देखना चाहते विवाह के    जंहा से वो जन्मा था ,| हमारे परिवार वाले सामाजिक चौकीदार   स्त्री के चरित्र पर कालिख पोतने से बाज नहीं आयेंगे||
वे अपने बनाये सतीत्व की परिभाषा पेश कर देंगे जब की स्त्री और उसके बच्चे से उन्हें कुछ लेना देना नहीं है | सच    पूछो  तो उन्हें अपने   खुद के बच्चो से भी कुछ लेना देना नहीं है|

पर ये असंकुचित मानसिकता  किसी पर कोई असर नहीं कर सकती , क्योकि यह  |    उस स्त्री का निरंतर struggle ही एक दिन निश्चय ही यह प्रमाणित करेगा की स्त्री के समूचे शरीर पर सिर्फ स्त्री का ही अधिकार है |
' Frality thy name is women " एक प्रसिध   वाक्य  है |सबकी जबान पर रहता है | कोई भी इस कथन का विरोध नहीं करता | शर्म की बात तो यह है की औरते भी इसका विरोध नहीं कराती | एक पार्टी में एक दिन एक महाशय ने मुस्कराकर कहा " औरते तो पुरुषो की कमजोरी है " और वंहा की महिला अफसर सब हंस-हंस कर लोटपोट हो गयी | उन्हें लगा उनका सम्मान   बढ़   गया है | किसी के पास एसा  वाक्य   नहीं था जिसे फेंक कर पुरुष की जबान बंद की जा सके |  जमाना  बहुत बदल चुका है यार | अब यहाँ छह इंच की मासपेशी की ताकत नहीं बल्कि दिमाग की ताकत चलती है | युग बदला है और आगे भी बदलता रहेगा |जमाना  देश के कुछ असभ्य लोगो की वजह से देश रुका नहीं रहेगा |
समाज बदलेगा और जो समाज को बदलेंगे उन्हें थोडा " असज्जन भी बनना होगा "     असज्जन    ही सज्जनों के penis के जोर को कम कर सकते है

उस हर औरत को जिसने दीक जैसे बच्चो को जन्म देने का struggle ज़िंदा रखा सिर्फ     salute

और  पुरुष को उपहार में एक वाकय


"Megalomania thy name is man "



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