-फिर से स्विमिंग जाने की शुरुआत की है |
-स्विमिंग पूल के बाहर एक कॉमन एरिया है जहा लडके और लडकिया ,स्त्री और पुरुष स्विमिंग के पहले और स्विमिंग के बाद टहलते होते है | लडके तो एकदम comfortable कपड़ो में होते है जैसे शॉर्ट्स , हलकी वाली टी शर्ट्स | पर लडकिया और औरते एकदम पूरे कपड़ो में होती है | मसलन सलवार ,trousers, जीन्स और ऊपर से स्टोल |
अंदर 'ब्रा ' या' स्पोर्ट्स ब्रा ' पहने बगैर तो कोई लड़की बाहर आती ही नहीं |
-स्विमिंग के पहले शावर फिर लगभग पौना घंटा स्विमिंग , गिले washroom में फिर से शावर | सबकुछ जल्दी करना पड़ता है क्यों की बाहर अनेक औरते ,लडकिय शावर के लिये इंतजार कर रही होती है | इसलिए अन्दर ढेर सारे कपडे पहनना जरा मुश्किल हो जाता है इसलिए मै बिना ब्रा के एक हल्का सा ड्रेस टाय करके बाहर निकल आती हूँ |
और शुरू होता है न रुकने वाले gaze का सिलसिला |
Patriarchy हमारे शरीर पर अनेक तरह से नियंत्रण करती रहती है | 'ये मत पहनो' , 'एसे मत बैठो' वगैरह वगैरह | इन निगेटिव कम्मेंट की वजह से हमारे मन में हमारे ही शरीर को लेकर नकारात्मक छवि पैदा हो जाती है | और यही vहम हमारे शरीर को कभी महसूस ही नहीं करते | हमारी सेक्सुअलिटी को कभी explore नहीं करते और तो और हमारे शरीर को महसूस करने का हमारा अधिकार भी हमारे पास नहीं रहता हम हमारे ही शरीर से पूरी तरह डिसकनेक्ट हो जाते है |
petriarchy हमें यही बताती रहती है की आपका शरीर और उसके अंग विशिष्ट आकार के होने चाहिए यह बता कर patriarchy हमें पूरी तरह से dehumanize करती है |
हम हमेशा अपने शरीर को लेकर forced महसूस करते है और इसलिए खुद ही कन्फ्यूज्ड रहते है और खुद को ही सवाल करने लगते है जबकि हमने सवाल तो इस तथाकथीत समाज से करने चाहिए \
जब हम हमारे शरीर के साथ ही रिश्ता नहीं बना पाते तो सेक्सुअलिटी से नाता कैसे बनायेंगे और हम हमारे ही शरीर और हमारी ही sexuality से दोस्ती नहीं कर पाते|
हमारी छाती का खूबसूरत होना बहुत जरूरी है एसा सिखाया गया है |
और इसे एक particular आकार का ही होना चाहिये |
और हम औरते हमारे दोद्नो स्तनों को womenhood से बांध देती है और जरा भी खुला नहीं छोड़ती नहीं खुद के विचारो को और न ही स्तनों को |
ग्रोपिंग से बचाना होगा यार
स्तन खूबसूरत दिखने के लिये नहीं है और न ही किसी को रिझाने के लिये होते है |
'My breasts are mine'
जैसे भी है खूबसूरत है |
छोटे है ,
बड़े है ]
बाल है ,
स्ट्रेच मार्क्स है
absolutely fine यार | absolutely ok .
हमने बच्चो को दूध पिलाया है | आकार में तो फर्क आयेगा ही न | सिर्फ बच्चो को दूध ही नहीं पिलाया बल्कि उस समय ' वर्क- लाइफ ' भी बेलेंस की है |खुद की तरफ ठीक से ध्यान नहीं दे पाए और दूध पिलाना बंद करते ही स्तनों का आकार बड़ा हो गया . इट्स ओके | Its absolutely ok . छाती पर बाल उग आये \ इट्स ओके \ त्वचा है वो कोई खिलौना नहीं | बार्बी डॉल नहीं
लटक गये है \ इट्स ओके | गुरुत्वाकर्षण नाम की भी कोई चीज़ होती है |
ok for everything
इट्स ओके |
Its absolutely ok .
But its not ok not to love your breast ,
#gender#patriarchy#sexism#breast#beauty#women.
-स्विमिंग पूल के बाहर एक कॉमन एरिया है जहा लडके और लडकिया ,स्त्री और पुरुष स्विमिंग के पहले और स्विमिंग के बाद टहलते होते है | लडके तो एकदम comfortable कपड़ो में होते है जैसे शॉर्ट्स , हलकी वाली टी शर्ट्स | पर लडकिया और औरते एकदम पूरे कपड़ो में होती है | मसलन सलवार ,trousers, जीन्स और ऊपर से स्टोल |
अंदर 'ब्रा ' या' स्पोर्ट्स ब्रा ' पहने बगैर तो कोई लड़की बाहर आती ही नहीं |
-स्विमिंग के पहले शावर फिर लगभग पौना घंटा स्विमिंग , गिले washroom में फिर से शावर | सबकुछ जल्दी करना पड़ता है क्यों की बाहर अनेक औरते ,लडकिय शावर के लिये इंतजार कर रही होती है | इसलिए अन्दर ढेर सारे कपडे पहनना जरा मुश्किल हो जाता है इसलिए मै बिना ब्रा के एक हल्का सा ड्रेस टाय करके बाहर निकल आती हूँ |
और शुरू होता है न रुकने वाले gaze का सिलसिला |
Patriarchy हमारे शरीर पर अनेक तरह से नियंत्रण करती रहती है | 'ये मत पहनो' , 'एसे मत बैठो' वगैरह वगैरह | इन निगेटिव कम्मेंट की वजह से हमारे मन में हमारे ही शरीर को लेकर नकारात्मक छवि पैदा हो जाती है | और यही vहम हमारे शरीर को कभी महसूस ही नहीं करते | हमारी सेक्सुअलिटी को कभी explore नहीं करते और तो और हमारे शरीर को महसूस करने का हमारा अधिकार भी हमारे पास नहीं रहता हम हमारे ही शरीर से पूरी तरह डिसकनेक्ट हो जाते है |
petriarchy हमें यही बताती रहती है की आपका शरीर और उसके अंग विशिष्ट आकार के होने चाहिए यह बता कर patriarchy हमें पूरी तरह से dehumanize करती है |
हम हमेशा अपने शरीर को लेकर forced महसूस करते है और इसलिए खुद ही कन्फ्यूज्ड रहते है और खुद को ही सवाल करने लगते है जबकि हमने सवाल तो इस तथाकथीत समाज से करने चाहिए \
जब हम हमारे शरीर के साथ ही रिश्ता नहीं बना पाते तो सेक्सुअलिटी से नाता कैसे बनायेंगे और हम हमारे ही शरीर और हमारी ही sexuality से दोस्ती नहीं कर पाते|
patriarchy का body shaming के लिये सबसे खतरनाक औजार है हमारे स्तन याने हमारे BREAST
हमारी छाती का खूबसूरत होना बहुत जरूरी है एसा सिखाया गया है |
और इसे एक particular आकार का ही होना चाहिये |
और हम औरते हमारे दोद्नो स्तनों को womenhood से बांध देती है और जरा भी खुला नहीं छोड़ती नहीं खुद के विचारो को और न ही स्तनों को |
ग्रोपिंग से बचाना होगा यार
स्तन खूबसूरत दिखने के लिये नहीं है और न ही किसी को रिझाने के लिये होते है |
'My breasts are mine'
जैसे भी है खूबसूरत है |
छोटे है ,
बड़े है ]
बाल है ,
स्ट्रेच मार्क्स है
absolutely fine यार | absolutely ok .
हमने बच्चो को दूध पिलाया है | आकार में तो फर्क आयेगा ही न | सिर्फ बच्चो को दूध ही नहीं पिलाया बल्कि उस समय ' वर्क- लाइफ ' भी बेलेंस की है |खुद की तरफ ठीक से ध्यान नहीं दे पाए और दूध पिलाना बंद करते ही स्तनों का आकार बड़ा हो गया . इट्स ओके | Its absolutely ok . छाती पर बाल उग आये \ इट्स ओके \ त्वचा है वो कोई खिलौना नहीं | बार्बी डॉल नहीं
लटक गये है \ इट्स ओके | गुरुत्वाकर्षण नाम की भी कोई चीज़ होती है |
ok for everything
इट्स ओके |
Its absolutely ok .
But its not ok not to love your breast ,
#gender#patriarchy#sexism#breast#beauty#women.