मीरा की मृत्यु पर ------मेरी डायरी ka अन्श |

मीरा के बारे में --जब मै स्नातकोतर की छात्रा थी ,मीरा हिंदी कविता पर अनुसन्धान कर रही थी | हमारे करीब आने का कारण --' मै जीवाजी यूनिवर्सिटी की जब सेक्रेटरी थी तब मीरा unioun representative थी |' मीटिंग्स में हमारी मुलाकात अच्छी दोस्ती में बदल गयी थी |
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कॉलेज लाइब्रेरी में , सुनीता ने आकार बताया , मीरा ने आत्महत्या कर ली है|
कामो की व्यस्तता और पारिवारिक जिम्मेदारिया इन सबके बीच हमारा मिलना कम जरूर हो गया था लेकिन मीरा तुम्हारा प्रेम प्रकरण , उससे उग आये rumors , तुम्हारी भाग कर मंदिर मे शादी , यह सब मेरे कानो तक पहुंचता ही रहा |
तुम्हारी मौत की झकझोर देने वाली घटना के बाद भी मुझे इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं की तुमने जिस लडके से शादी की थी वह इंजिनीयर था या व्यावसायिक | मुझे इस बात में भी दिलचस्पी नहीं की उसने तुम्हारे साथ क्या किया की तुमने आत्महत्या कर ली ? |
तुम जैसी सफल लेखिका का सम्मान मै न करू ऐसा दुस्साहस मुझमे नहीं |लेकिन तुमने खुद ही यह दुसाहस किया है |अपनी प्रतिभा को तुमने खुद ही अपमानित किया है , मीरा |
' प्रतिभा और लेखनी से जब marital conflict , प्रेम-प्रकरणों की असफलता बड़ी हो जाती है , तब अभागी प्रतिभाशाली लेखिका के अलावा दुखी होने के अलावा कुछ नहीं रह जाता है |
तुम्हे शर्म नहीं आयीं मीरा किटकनाशक अपने गले में उतरते समय ? छि: मीरा छि: |मै समस्त नारी जाती की तरफ से तुम्हे धिक्कारती हू |
इतनी शोकाकुल हो गयी तुम की तुम्हे आत्महत्या करनी पड़ी ? तुम्हारा रिश्ता नहीं निभ पाया , प्यार मे असफल हो गयी तो इतनी दुखी हो गयी की तुमने मरने की थन ली ?? अपने आप को इतना नीच , इतना दयनीय क्यों समझा ? क्या लेखिका होने के नाते तुम्हे कम सफलताए मिली की तुम इन एक दो असफलताओ को जिंदगी की असफलता मान बैठी ?
मै जानती हू मीरा तुम परेशान थी | तुम्हारी तरह शिक्षित ,प्रतिभावान लड़की जब दुनियायी आँखों से परेशान होती है तो इतनी परेशान हो जाती है की एक तुछ लडके के तुछ व्यवहार को जिंदगी की असफलता मान लेती है |क्या ये गलत नहीं ??
क्या मिला तुम्हे खुद को मार के ?क्या होता जो तुम नहीं मरती ? लोग अफवाहे फैलाते ? तुम्हे अपमानित होना पड़ता ? माँ -बाप साथ नहीं देते ? अकेले जीवन बिताना पड़ता ?
क्या यह सब इतना भयानक था की तुम ख़ूबसूरत जिंदगी नहीं जी सकती थी ? उसकी कल्पना भी नहीं कर सकती थी तुम ?
जो लोग घर परिवार बसाये हुए है , क्या उनका जीवन ख़ूबसूरत ही है ?
मुझे गुस्सा है तुम पर |
जिंदगी तुम्हारी थी मीरा , तुम्हारे बाप की नहीं | तुम्हारे माँ की भी नहीं | तुम्हारे पड़ोसियों की नहीं , तुम्हारे प्रेमी की भी नहीं , सिर्फ तुम्हारी थी , सिर्फ तुम्हारी | दूसरो के प्यार और अवेहलना तुम्हे नियंत्रीत करते रहे ??अपने आपको नियंत्रित करने की ताकत नहीं थी तुममे ?
इतनी उबड़-खाबड़ रास्तो पर चल कर भी मै ,तुम्हारी दोस्त गतिमय और प्राणवान बन सकी और तुम ???
शिक्षा तो हमें जीने की प्रेरणा देती है कला और साहित्य हममे जीने का सहस बटोरते है | जो    लड़किया    समझती है पति या परिवार के बगैर वे कुछ भी नहीं , फालतू है         " क्या तुम भी उनमे से एक थी मीरा ??
तुम इतनी भावुक हो गयी ?? भावुक होना अच्छा , पर तुम्हारी भावना अगर घातक है तो धिक्कार है तुम पर |
सौ धिक्कार है तुम्हारे असहनशील ह्रदय पर !!
मै , समस्त दोस्तों की तरफ से,समस्त नारी जाती की तरफ से धिक्कारती हू तुम्हे | तुम्हारी तरह कमजोर . डरपोक नारी अब दुनिया मे आगे जन्म ही न ले येही कमान कराती हू मीरा तुम्हारी मौत पर |

1 comment:

amar mane said...

Great machine
God bless u

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